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पोक्सो और जेजे एक्ट के बारे में और जागरूकता फैलाने की है जरूरत
कांफ्रेंस. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर रविवार को रांची में थे. उन्होंने दो कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. बीएनआर चाणक्य में आयोजित जुवेनाइल जस्टिस एक्ट अौर पोक्सो एक्ट के क्रियान्वयन पर आयोजित कांफ्रेंस को उन्होंने संबोधित किया. वहीं, दूसरी ओर लालपुर बालमित्र थाना का भी […]
कांफ्रेंस. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर रविवार को रांची में थे. उन्होंने दो कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. बीएनआर चाणक्य में आयोजित जुवेनाइल जस्टिस एक्ट अौर पोक्सो एक्ट के क्रियान्वयन पर आयोजित कांफ्रेंस को उन्होंने संबोधित किया. वहीं, दूसरी ओर लालपुर बालमित्र थाना का भी निरीक्षण किया.
रांची : सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि पोक्सो एक्ट अौर जेजे एक्ट के बारे में लोगों के बीच अौर अधिक जागरूकता फैलाने की जरूरत है. देश में 40 प्रतिशत आबादी बच्चों की है अौर ये दोनों एक्ट बच्चों से जुड़े हैं. पोक्सो अौर जेजे एक्ट के क्रियान्वयन में आ रही समस्याअों को दूर करना होगा. जस्टिस मदन बी लोकुर रविवार को बीएनआर चाणक्य में आयोजित जुवेनाइल जस्टिस एक्ट अौर पोक्सो एक्ट के क्रियान्वयन पर आयोजित कांफ्रेंस में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि दुष्कर्म व एसिड अटैक जैसे मामले में मुआवजा के प्रावधान को अौर व्यापक बनाना होगा. ऐसे मामले में पांच या दस लाख का मुआवजा काफी नहीं है. पीड़िताअों को पूरी मेडिकल सुविधाएं, काउंंसलिंग अौर पुनर्वास से जोड़ना होगा, ताकि वे सामान्य तरीके से जिंदगी बीता सकें. मौके पर झारखंड हाइकोर्ट के न्यायाधीश डीएन पटेल ने कहा कि यह कांफ्रेंस जेजे एक्ट अौर पोक्सो एक्ट के क्रियान्वयन को लेकर है. जरूरी है कि इन एक्ट के तहत आनेवाले मामले में जल्दी इन्वेस्टिगेशन, ट्रॉयल अौर पुनर्वास हो. इसके लिए सरकार, एनजीअो व समाज को सामूहिक रूप से काम करना होगा.
यूनिसेफ की झारखंड प्रमुख मधुलिका जोनाथन ने कहा कि झारखंड में बच्चों से जुड़े मामलों में यूनिसेफ काम कर रहा है. झारखंड में बच्चों से जुड़े दो हजार से ज्यादा मामले दर्ज किये गये हैं. हमलोग चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) अौर अन्य संबंधित एजेंसियों की कैपेसिटी बिल्डिंग का काम कर रहे हैं. राज्य में चाइल्ड फ्रेंडली थाने बनाये गये हैं. उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी बच्चों की स्थिति सुधारने के लिए आगे आना होगा.
अलग-अलग तकनीकी सत्रों में जेजे एक्ट अौर पोक्सो एक्ट के क्रियान्वयन में आ रही चुनौतियों पर चर्चा की गयी. कांफ्रेंस में झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस एवी सिंह, जस्टिस एस चंद्रशेखर, छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट के जस्टिस एमएम श्रीवास्तव, पटना हाइकोर्ट के जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह, पश्चिम बंगाल हाइकोर्ट के जस्टिस नादिरा, कोलकाता हाइकोर्ट के जस्टिस सौमेन सेन, हरीश टंडन, ओड़िशा हाइकोर्ट के जस्टिस एसके मिश्रा, जस्टिस एस पूजाहरि सहित राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, पुलिस अौर एनजीअो से जुड़े लोग उपस्थित थे.
रांची : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर ने रविवार को लालपुर थाने में स्थित बाल मित्र थाना का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने पाया कि थाने का कमरा बच्चों के अनुकूल बनाया गया है. किसी बच्चों के थाना पहुंचने पर उन्हें यह तक एहसास नहीं होगा कि वह थाना पहुंचे हैं. थाने के कमरे की दीवार में बच्चों को पढ़ने के लिए पोस्टर लगे हैं. उनके लिए खेलने के सामान और खाने के लिए टॉफी भी रखी गयी हैं.
बाल मित्र थाना के पुलिस अफसरों को बच्चों के अधिकार और कानून की भी जानकारी है. निरीक्षण के दौरान जस्टिस मदन बी लोकुर को थाना में वह सब कुछ मिला, जो एक मॉडल बाल मित्र थाना में होने चाहिए. वह थाने की व्यवस्था देख संतुष्ट हुए. उनके साथ निरीक्षण करनेवालों में हाइकोर्ट के जस्टिस और जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के चेयरमैन जस्टिस डीएन पटेल, सीआइडी आइजी संपत मीणा, यूनिसेफ की डॉ मधुलिका जोनाथन सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे.
आइजी संपत मीणा ने बताया कि निरीक्षण का मूल उद्देश्य था थाने की व्यवस्था देखना, ताकि दूसरे राज्य और जिलों में इस तरह के बाल मित्र थाने बनाये जा सकें. आनेवाले दिनों में सभी थानों में अलग से एक बाल मित्र थाना होगा. इस दौरान सिटी डीएसपी शंभु सिंह, लालपुर थाना प्रभारी रमोद कुमार सिंह के अलावा अन्य पुलिस पदाधिकारी मौजूद थे.
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