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हाइस्कूल की संख्या दोगुनी नहीं बढ़े मैट्रिक में परीक्षार्थी
रांची : राज्य में हाइस्कूलों की संख्या लगभग दोगुनी हो गयी है. गत छह वर्ष में राज्य में हाइस्कूलों की संख्या में 1089 की बढ़ोतरी हुई है, पर इस दौरान परीक्षार्थियों की संख्या में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई. राज्य गठन के बाद अब तक सबसे अधिक 4,78,079 परीक्षार्थी वर्ष 2014 में मैट्रिक परीक्षा में […]
रांची : राज्य में हाइस्कूलों की संख्या लगभग दोगुनी हो गयी है. गत छह वर्ष में राज्य में हाइस्कूलों की संख्या में 1089 की बढ़ोतरी हुई है, पर इस दौरान परीक्षार्थियों की संख्या में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई. राज्य गठन के बाद अब तक सबसे अधिक 4,78,079 परीक्षार्थी वर्ष 2014 में मैट्रिक परीक्षा में शामिल हुए थे. वर्ष 2013 के बाद से मैट्रिक में परीक्षार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है.
वर्ष 2011-12 में 297 मध्य विद्यालय हाइस्कूल में अपग्रेड किये गये थे. मैट्रिक परीक्षा 2015 में इन विद्यालयों से परीक्षार्थी मैट्रिक परीक्षा में शामिल भी होने लगे. इसके बाद भी वर्ष 2015 में मैट्रिक में परीक्षार्थियों की संख्या कम हो गयी. वर्ष 2017 में भी मैट्रिक में शामिल होनेवाले परीक्षार्थियों की संख्या में भी कमी अायी है. वर्ष 2006-07 से अब तक राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत राज्य में 1089 मध्य विद्यालय उच्च विद्यालय में अपग्रेड किया गया है.
इसके अलावा 203 कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय व 49 मॉडल हाइस्कूल से परीक्षार्थी मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हो रहे हैं. राज्य में वर्तमान में 2448 हाइस्कूल हैं. राज्य गठन के समय 850 हाइस्कूल थे. राज्य में वर्ष 2006-07 से मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय में अपग्रेड करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी.
शहरी क्षेत्र के स्कूलों में बच्चे कम
राज्य के शहरी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में कमी आयी है. शहरी क्षेत्र अधिकांश स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हुई है. कुछ स्कूलों में तो मैट्रिक परीक्षा में शामिल होनेवाले परीक्षार्थियों की संख्या सौ से भी कम है.
हाइस्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण पठन-पाठन भी ठीक से नहीं हो पाता है. इस कारण भी अभिभावक सरकारी स्कूल में बच्चों का नामांकन नहीं करना चाहते हैं. राजधानी में ही सरकारी स्कूलों की तुलना में स्थापना अनुमति प्राप्त हाइस्कूल में बच्चों की संख्या अधिक है.
विद्यार्थियों की संख्या के साथ-साथ रिजल्ट के प्रतिशत में आयी कमी
मैट्रिक में परीक्षार्थियों की संख्या के साथ-साथ रिजल्ट के प्रतिशत में भी कमी आयी है. राज्य में अब तक सबसे अधिक 86 फीसदी परीक्षार्थी वर्ष 2008 में सफल हुए थे. इसके बाद से वर्ष 2012 तक लगातार रिजल्ट में गिरावट जारी रही.
वर्ष 2012 में मैट्रिक परीक्षा पास करने वाले विद्यार्थियों की संख्या घटकर 67.35 फीसदी हो गयी. वर्ष 2013 में थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन वर्ष 2015 से फिर रिजल्ट का ग्राफ गिरने लगा. इसके बाद वर्ष 2013 में 73.15 फीसदी, 2014 में 75.30 फीसदी परीक्षार्थी सफल हुए थे. 2015 में फिर रिजल्ट में कमी आ गयी. वर्ष 2016 में 67.54 फीसदी परीक्षार्थी ही सफल हो सके .
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