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12 साल से बिना पेंशन के दिन गुजार रहे नागपुरी के प्राध्यापक
रांची: नागपुरी भाषा के प्राध्यापक डाॅ सुरेश चंद्र राय को सेवानिवृत्ति के 12 साल बाद भी पेंशन नहीं मिल रहा है़ पांच-छह दिन पहले उन पर लकवा का अटैक हुआ है़ उनके तीन पुत्र हैं, पर तीनों बेरोजगार है़ं इन दिनों सुरेश चंद्र राय अपने पैतृक गांव भरनाे में मुफलिसी के दिन गुजार रहे है़ं […]
रांची: नागपुरी भाषा के प्राध्यापक डाॅ सुरेश चंद्र राय को सेवानिवृत्ति के 12 साल बाद भी पेंशन नहीं मिल रहा है़ पांच-छह दिन पहले उन पर लकवा का अटैक हुआ है़ उनके तीन पुत्र हैं, पर तीनों बेरोजगार है़ं इन दिनों सुरेश चंद्र राय अपने पैतृक गांव भरनाे में मुफलिसी के दिन गुजार रहे है़ं वे 2005 में रिटायर हुए, पर सरकार व विश्वविद्यालय ने उनका पेंशन अब तक तय ही नहीं किया है़ वे 31 मार्च 1987 को डोरंडा कॉलेज से व्याख्याता के रूप में जुड़े थे़.
जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के 45 संस्थापक शिक्षकों से भी जुड़ा मामला : यह मामला सिर्फ उनका नहीं है़ जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के वर्तमान में कार्यरत 45 संस्थापक शिक्षकों का भी है़ रांची विवि के तत्कालीन कुलसचिव डॉ रामदयाल मुंडा ने 1984 में रांची विश्वविद्यालय के अधीनस्थ विभिन्न कॉलेजों में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाएं- मुंडारी, कुड़ुख, संताली, खड़िया, हो, नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, पंचपरगनिया आदि नौ भाषाओं की पढ़ाई शुरू करने के लिए बिहार (तब अविभाजित) के राज्यपाल, शिक्षा मंत्री व सचिव से लिखित अनुरोध किया था़ उस अावेदन पर बिहार सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग ने वर्ष 1986- 1987 व 1989- 1990 में 62 व्याख्याताओं के पद सृजित किये़ उस समय जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के 51 व्याख्याता अस्थायी रूप से नियुक्त हुए थे, जिनमें से प्रो बसंती कुजर व प्रो जगरन्नाथ मुंडा का निधन हो चुका है. सुरेश चंद्र राय व विष्णु चरण महतो रिटायर व लकवाग्रस्त हैं और काशीनाथ महतो व चंद्रमोहन पाट पिंगुवा भी रिटायर है़ं
दौड़ रही है फाइल
उन 51 शिक्षकों ने सेवा समंजन के लिए उच्च न्यायालय के रांची बेंच में याचिका (वाद संख्या डब्ल्यूजेसी 700/94) दायर किया, जिसपर न्यायालय ने 1987 में कुलाधिपति व बिहार सरकार को फैसला आने के दो महीने के अंदर सेवा समंजन का निर्देश दिया़ बिहार सरकार के समय सेवा समंजन नहीं हुआ़ झारखंड गठन के बाद राज्य मानव संसाधन विकास विभाग ने इन शिक्षकों का सेवा समंजन 18 अप्रैल 2006 की तिथि से किया, जबकि सभी 1985- 1989 के बीच नियुक्त हुए थे़ लंबी लड़ाई के बाद सरकार ने 1989 से वेतन वृद्धि का लाभ देने के लिए कानून बनाने का निर्देश दिया, जिस पर रांची विवि के सीनेट ने कानून बनाया व राज्यपाल ने 28 दिसंबर 2015 को इस पर मंजूरी भी दी़ पर, सरकार ने अब तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं की है़ इधर, उच्च शिक्षा विभाग ने इस मामले को परामर्श के लिए पुन: जेपीएससी के पास भेजा है़
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