रांची : राज्य सरकार अगले वित्तीय वर्ष के बजट में टाना भगतों के लिए अलग से पैसों का प्रावधान करेगी. टाना भगतों के कल्याण के लिए 10-15 करोड़ रुपये का प्रावधान किये जाने का अनुमान है. हालांकि इस राशि से उनके लिए चलायी जानेवाली कल्याणकारी योजनाओं पर अब तक अंतिम निर्णय नहीं किया जा सका […]
रांची : राज्य सरकार अगले वित्तीय वर्ष के बजट में टाना भगतों के लिए अलग से पैसों का प्रावधान करेगी. टाना भगतों के कल्याण के लिए 10-15 करोड़ रुपये का प्रावधान किये जाने का अनुमान है. हालांकि इस राशि से उनके लिए चलायी जानेवाली कल्याणकारी योजनाओं पर अब तक अंतिम निर्णय नहीं किया जा सका है. अगले साल के बजट में कृषि और जेंडर बजट के अलावा ’आउटकम बजट’ को भी शामिल किया गया है.
कल्याण विभाग के अगले वित्तीय वर्ष के बजट में टाना भगतों के लिए राशि का प्रावधान किया जा रहा है. अब तक कल्याण विभाग के बजट में एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के कल्याण से जुड़ी योजनाओं के लिए अलग-अलग राशि का प्रावधान किया जाता है. अगले वित्तीय वर्ष का पूरा बजट अब तक पेश किये जा चुके बजटों से बिलकुल अलग होगा. इससे पहले की बजट योजना और गैर योजना के मुख्यत: दो हिस्सों में बंटे होते थे. योजना बजट में दो तरह के (राजस्व और पूंजीगत) के खर्चे शामिल किये जाते थे. गैर योजना खर्च में वेतन भत्ता, पेंशन, कर्ज और सूद अदायगी जैसे बिंदुओं को शामिल किया जाता था. आर्थिक नजरिये से इन खर्चों को राजस्व खर्च के नाम से जाना जाता है. योजना मद में विकास के लिए बनी योजनाओं के साथ-साथ कुछ मामलों में वेतन भत्ता आदि को भी शामिल किया जाता था. अगले वित्तीय वर्ष के बजट मेें योजना और गैर योजना शब्द नहीं रहेगा. इसके बदले पूरे खर्चे को आर्थिक नजरिये से राजस्व और पूंजीगत खर्च के रूप में रखा जायेगा. पहले भी पूरे बजट में राजस्व खर्च और पूंजीगत खर्च का उल्लेख होता था. अंतर सिर्फ इतना होगा कि पूरे बजट में योजना और गैर योजना शब्द का उल्लेख नहीं होगा.
गैर योजना बजट को अब स्थापना खर्च के नाम से जाना जायेगा. पूंजीगत खर्च की श्रेणी में विकास से संबंधित योजनाओं को रखा जायेगा. पहले इसे राज्य योजना, केंद्र प्रायोजित योजना और केंद्रीय योजनागत योजना के रूप में बांट कर पैसों का प्रावधान किया जाता था. अब केंद्रीय सहायता से चलनेवाली योजनाओं और राज्य के पैसों के चलनेवाली योजनाओं को अलग-अलग उल्लेख किया जायेगा. राज्य के पैसों से चलनेवाली विकास योजनाओं को तीन हिस्सों में बांटा जायेगा और उसी के अनुरूप प्राथमिकता देते हुए पैसों का प्रावधान किया जायेगा. सबसे पहले अधूरी पड़ी योजनाओं और उसके बाद चालू योजनाओं के लिए पैसों का प्रावधान होगा.
इसके बाद नयी योजनाओं के लिए राशि का प्रावधान किया जायेगा. इन सारे बदलाव के बाद भी बजट में टीएसपी, ओएसपी और एससीपी का उल्लेख पहले की तरह होता रहेगा. अगले साल के बजट में दो नयी चीजें शामिल की जायेंगी. इनमें जिलावार मुख्य योजनाओं की सूची और आउटकम बजट शामिल है. जिलावार मुख्य स्कीमों की सूची में हर जिले में अगले साल की मुख्य स्कीमों का ब्योरा होगा. आउटकम बजट में इस बात का उल्लेख किया जायेगा कि बजट की राशि से कौन-कौन सी संपत्तियों और सेवाओं का निर्माण होगा.