वहीं, स्काई विंड जर्मनी की कंपनी है. कंपनी की पवन ऊर्जा का व्यापारिक उपयोग के अलावा पर्यावरण के क्षेत्र में बहुत बड़ी भूमिका है. कंपनी के सहयोग से एचइसी पवन ऊर्जा से संबंधित उपकरणों का उत्पादन एवं पवन ऊर्जा मिल की स्थापना करेगी. श्री घोष ने बताया कि स्टील ऑथोरिटी के साथ भी एचइसी स्टील प्रोडक्ट बनाने के लिए एमओयू करेगा. सिनेट मास कंपनी के साथ तकनीक लेने को लेकर एचइसी ने एमओयू किया है. कंपनी एचइसी को मार्च से तकनीक देना शुरू कर देगी.
उन्होंने कहा कि एचइसी के पास वर्तमान में 1300 करोड़ रुपये का कार्यादेश है. समय पर इनपुट उपलब्ध नहीं होने के कारण कार्यादेश निर्धारित समय में पूरा नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि फंड के अभाव में कर्मियों को ग्रेच्युटी व लीव सैलरी का भी पैसा भुगतान नहीं हो रहा है. प्रबंधन ग्रेच्युटी व लीव सैलरी का भुगतान जल्द करने का प्रयास कर रहा है. नीति आयोग की रिपोर्ट के संबंध में पूछने पर उन्होंने कहा कि अभी तक नीति आयोग ने रिपोर्ट केंद्र सरकार को नहीं सौंपी है. उम्मीद है कि आयोग जल्द ही रिपोर्ट केंद्र को सौंप देगा. इसके बाद केंद्र सरकार पर निर्भर है कि कितनी जल्दी एचइसी का जीर्णोद्धार कार्य शुरू होता है.