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मरीजों को शुद्ध ऑक्सीजन नहीं देने का मामला: निदेशालय ने रांची के पांच अस्पतालों को भेजा नोटिस

रांची: राजधानी के पांच अस्पतालों को राज्य औषधि निदेशालय ने नोटिस जारी कर दिया है. इसके अलावा हेल्थ प्वाइंट व रिम्स से भी जानकारी मांगी गयी है. अस्पतालों से यह पूछा गया है कि ऑक्सीजन की शुद्धता की जांच क्यों नहीं होती है? जब मरीजों से इलाज के एवज में पैसे लिये जाते हैं, तो […]

रांची: राजधानी के पांच अस्पतालों को राज्य औषधि निदेशालय ने नोटिस जारी कर दिया है. इसके अलावा हेल्थ प्वाइंट व रिम्स से भी जानकारी मांगी गयी है. अस्पतालों से यह पूछा गया है कि ऑक्सीजन की शुद्धता की जांच क्यों नहीं होती है?

जब मरीजों से इलाज के एवज में पैसे लिये जाते हैं, तो उन्हें इलाज के मानकों को पूरा किया जाना आवश्यक है. अस्पतालों से 15 दिनों के अंदर अपना पक्ष रखने को कहा गया है. गौरतलब है कि निदेशालय ने प्रभात खबर के प्रकाशित खबर के आधार पर जांच टीम का गठन किया था. जांच के दौरान टीम ने पाया था कि अस्पतालों में ऑक्सीजन देने के मामले में गड़बड़ी बरती जाती है.
इन अधिकारियों ने की थी जांच: प्रणव प्रभात के नेतृत्व में तीन नवंबर 2016 को राज्य औषधि निदेशालय ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. जिसमें औषधि निरीक्षक उत्कल मणी व औषधि निरीक्षक प्रतिभा झा शामिल थे. कमेटी ने राजधानी के 10 अस्पतालों व चार ऑक्सीजन निर्माता कंपनियों की जांच की थी.
यह है नियम
पीएसए ऑक्सीजन जेनरेटर के इंपोर्ट से संबंधित सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन, भारत सरकार के पत्रांक संख्या 29 मार्च 2011-डीसी-146 में स्पष्ट किया गया है कि ऑक्सीजन का उपयोग इलाज के रूप में किया जायेगा. ऑक्सीजन का निर्माण ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट की धाराओं में शामिल है. आैषधी एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा-3 बी के अनुसार मेडिकल ऑक्सीजन औषधि के अंतर्गत आता है, इसलिए इसके निर्माण, भंडारण, वितरण व विक्रय के लिए औषधि व प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 व नियमावली 1945 के तहत निर्माण व विक्रय औषधि अनुज्ञप्ति आवश्यक है. मेडिकल ऑक्सीजन को जीवन रक्षक दवा है, इसलिए इसे नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंसियल मेडिसिन के तहत रखा गया है.
पांच अस्पतालों को नोटिस जारी कर उनसे पक्ष मांगा गया है. अस्पतालों के पक्ष आने के बाद कार्रवाई की जायेगी.
सुरेंद्र प्रसाद, संयुक्त निदेशक औषधि

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