रांची : झारखंड सरकार ने नये संशोधित एमएमडीआर एक्ट 2015 के तहत बंद पड़ी 105 खदानों के लीज नवीकरण का फैसला किया है. बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसकी मंजूरी दे दी गयी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में ये खदानें बंद हो चुकी थी. हालांकि राज्य सरकार के फैसले के बाद भी इन खदानों में खनन कार्य शेष कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही की जा सकेगी.
लीज नवीकरण का मामला विचाराधीन था : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य में लौह अयस्क, बॉक्साइट, लाइम स्टोन सहित अन्य प्रकार की करीब 105 माइंस बंद हो गयी थी. इनमें 21 माइंस लौह अयस्क की थी. इन सभी के लीज की अवधि समाप्त हो गयी थी.
इन माइंस के लीज नवीकरण का मामला सरकार के पास विचाराधीन था. इन खदानों को शुरू करने के लिए केंद्र सरकार ने एमएमडीआर एक्ट में संशोधन किया. इसके बाद राज्य सरकार ने संशोधित अधिनियम के तहत कैप्टिव और नन कैप्टिव माइंस के लीज की अवधि बढ़ाने का फैसला किया है. कैप्टिव माइंस की लीज अवधि 2030 तक और नन कैप्टिव माइंस की अवधि 2020 तक बढ़ा दी गयी है. लीज अवधि समाप्त होने के बाद इन सभी खदानों का आवंटन नये सिरे से नीलामी के आधार पर होगा.
डीएमएफ रूल में संशोधन : कैबिनेट ने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड (डीएमएफ) रूल में संशोधन कर दिया है. इस फंड से शहरी क्षेत्र में भी योजनाओं को क्रियान्वित किया जा सकेगा. पहले इस फंड से सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में ही योजनाएं ली जा सकती थी. कैबिनेट ने अब मेजर मिनरल्स के साथ ही माइनर मिनरल्स पर भी डीएमएफ में शुल्क लेने का फैसला किया है. इसके तहत वैसे माइनर मिनरल्स जिनका अावंटन राज्य सरकार की ओर से सीधे किया जाता है, उस पर रॉयल्टी का 30 प्रतिशत और नीलामी के सहारे आवंटित किये जानेवाले माइनरल मिनरल्स पर लगनेवाली रॉयल्टी का 10 प्रतिशत इस फंड में लिया जायेगा. कैबिनेट ने मनमोहन मिनरल्स को सरायकेला की लावा सोना खदान लीज पर देने का फैसला किया है. इसके तहत उसे 134.8 एकड़ क्षेत्र में खनन पट्टे की अनुमति दी गयी. मनमोहन मिनरल्स को केंद्र सरकार ने 2010 में ही खनन कार्य करने की अनुमति दी थी.
उर्वरक मंत्रालय को 14.5 एकड़ जमीन : कैबिनेट ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट अॉफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना के लिए भारत सरकार के रसायन व उर्वरक मंत्रालय को 14.5 एकड़ जमीन हेहल में देने का फैसला किया है. इस जमीन पर बने कृषि प्रशिक्षण केंद्र को भी उर्वरक मंत्रालय को इंस्टीट्यूट के लिए दिया जायेगा. इससे अगले तीन-चार माह में इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण का कार्य शुरू हो जायेगा. इसमें 600 लोगों को प्रशिक्षित किया जा सकेगा. इस योजना पर कुल 51.32 करोड़ की लागत आयेगी. इसमें 50 प्रतिशत राज्य सरकार को वहन करना होगा. राज्य सरकार द्वारा हस्तांतरित की जानेवाले कृषि भवन व जमीन से उसके हिस्से की भरपाई हो जायेगी.
782 मोबाइल टावरों के माध्यम से वाइ-फाइ सुविधा : कैबिनेट ने उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में बीएसएनएल द्वारा स्थापित 782 मोबाइल टावरों के माध्यम से वाइ-फाइ सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला किया है. इस योजना पर 53.95 करोड़ खर्च होंगे. एक टावर से दो किमी की परिधि में दो एमबीपीएस स्पीड की वाइ-फाइ सुविधा उपलब्ध होगी. चालू वित्तीय वर्ष में इस योजना पर 17.98 करोड़ खर्च होंगे. मोबाइल टावरों से वाइ-फाइ सुविधा उपलब्ध कराने का काम बीएसएनएल करेगा. ऐसा काम करनेवाला झारखंड देश का पहला राज्य होगा.
खासमहल जमीन के लीज नवीकरण शुल्क में बदलाव
कैबिनेट ने राज्य में खासमहल की जमीन के लीज नवीकरण के शुल्क में बदलाव किया है. बंगाल के मॉडल को आंशिक संशोधन के साथ अपनाया गया है. शुल्क बहुत ज्यादा होने की वजह से लोग खासमहल जमीन के लीज का नवीकरण नहीं करा पा रहे थे. राज्य में खासमहल जमीन के कुल 10276 लीज धारक हैं, इनमें मात्र 1478 ने ही नवीकरण कराया था. कैबिनेट ने आवासीय जमीन के लिए करीब 80 प्रतिशत और व्यावसायिक जमीन के लिए दोगुना शुल्क निर्धारित किया है. यानी अगर आवासीय जमीन का बाजार मूल्य एक लाख रुपये प्रति एकड़ है, तो खासमहल जमीन के लिए लीज नवीकरण शुल्क 80 हजार होगा. इसी तरह व्यावसायिक जमीन की स्थिति में तो शुल्क दो लाख रुपये प्रति एकड़ होगा. अगर खासमहल लीज की जमीन किसी दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित कर दी गयी है, तो उसे अंतर राशि का 20 प्रतिशत चुकाने के बाद नियमित किया जा सकेगा.
गैरमजरूआ जमीन के लीज में ओड़िशा मॉडल
कैबिनेट ने गैरमजरूआ जमीन को लीज पर देने के मामले में ओड़िशा के मॉडल को स्वीकार किया है. इसके तहत अब अगर एक एकड़ गैर मजरूआ जमीन की कीमत एक लाख रुपये है, तो उसे एक लाख 52 हजार 500 रुपये के शुल्क पर 30 साल के लीज पर दिया जा सकेगा. पहले गैरमजरूआ जमीन लीज पर देने के लिए निर्धारित शुल्क बाजार मूल्य के करीब छह गुना अधिक थे.
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