Advertisement
मंदी का शिकार हो गया फुटपाथ का कंबल बाजार
दोहरी मार. नोटबंदी की वजह से कम हुए खरीदार, अब एक हफ्ते पर कमीशन दे रहे महाजन नोटबंदी की वजह से राजधानी के फुटपाथ पर लगनेवाला कंबल बाजार मंदी का शिकार हो गया है. राजधानी में रांची विश्वविद्यालय की दीवार और उसके आसपास 25 से अधिक कंबल बेचनेवाले प्रतिदिन अपना स्टॉल लगाते हैं. नवंबर से […]
दोहरी मार. नोटबंदी की वजह से कम हुए खरीदार, अब एक हफ्ते पर कमीशन दे रहे महाजन
नोटबंदी की वजह से राजधानी के फुटपाथ पर लगनेवाला कंबल बाजार मंदी का शिकार हो गया है. राजधानी में रांची विश्वविद्यालय की दीवार और उसके आसपास 25 से अधिक कंबल बेचनेवाले प्रतिदिन अपना स्टॉल लगाते हैं. नवंबर से लेकर फरवरी-मार्च तक ये स्टॉल लगाये जाते हैं, जिससे लोगों को कम कीमतों पर कंबल उपलब्ध कराये जाते हैं, लेकिन नोटबंदी की ऐसी मार पड़ी है कि इन दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ कम हो गयी है.
रांची : फुटपाथ पर कंबल बेचनेवाले दुकानदारों की मानें तो उनपर दोहरी मार पड़ी है. एक तो हमेशा प्रशासन का डर बना रहता है, रही-सही कसर नोटबंदी ने पूरी कर दी. यहां पर दुकानदार पहले प्रतिदिन कुल मिला कर 1.50 से दो लाख का कारोबार करतेे थे. वह अब 20-30 हजार रुपये हो गया है. खरीदार यहां कंबल की कम कीमतों की वजह से आते हैं. आजकल दिन भर में यहां औसतन एक दुकानदार एक या दो कंबल ही बेच पा रहा है.
सुबह सात बजे महाजन से प्रतिदिन कंबल लेकर अस्थायी स्टॉल दुकानदार यहां लगाते हैं. दिन भर की धूल-धक्कड़ और सड़कों की भीड़-भाड़ भी अब इन्हें नहीं भा रही है. दुकानदारों का कहना है कि अब तो ठंड भी शुरू हो गयी है. पर हमारी बोहनी में दिन-दिन भर लग रहे हैं. बड़े नोटों और 100 रुपये के नोट की कमी की वजह से भी बाजार प्रभावित हुई है. कंबल बाजार में छह सौ रुपये से लेकर 12 सौ रुपये तक के कंबल उपलब्ध हैं. सारे माल पंजाब के लुधियाना से रांची आते हैं. रांची में अपर बाजार के महाजन इन विक्रेताओं को कंबल बिक्री के लिए उपलब्ध कराते हैं.
फोटो खिंचवाना मतलब आफत मोल लेना
कंबल विक्रेता भरत सिंह का कहना है कि अखबार में कुछ भी छपने से नगर निगम और जिला प्रशासन हमारे पीछे पड़ जाता है. तुरंत अतिक्रमण वाहन आकर हमारी टेबुल-कुरसी उठा कर ले जाते हैं. उन्होंने ‘प्रभात खबर’ संवाददाता से कहा कि आप हमलोगों की तसवीर नहीं लें. यह हमारे लिए आफत साबित होने लगती है. जो भी कमा-खा रहे हैं. उस पर भी दस-12 दिन की ब्रेक लग जाती है. उन्होंने कहा कि परिवार और रिश्तेदार के 10-15 लोग हर जाड़े में यहां कंबल बेचते हैं. पर इस तरह का माहौल आज तक नहीं देखा था. उन्होंने कहा कि नगर निगम हमें किसी तरह की सुविधा नहीं देता है.
किसी तरह बेच रहे एक कंबल : सोनू
सोनू कुमार ने भी डरे-सहमे बताया कि अब तो किसी तरह एकाध कंबल दिन में बेच रहे हैं. खर्चा भी नहीं निकल रहा है. यदि आप फोटो छाप दिजिएगा, तो प्रशासन पीछे पड़ जायेगा. उसने कहा कि महाजन को अब सप्ताह में पैसे दे रहे हैं. पहले रोजाना के सेल के हिसाब से महाजन कमीशन देता था.
बीते दस दिनों से हो रही है मुश्किल : रवि
कंबल विक्रेता रवि ने बताया कि जब से नोटबंदी हुई है तभी से हमारी मुश्किलें शुरू हो गयी हैं. 10 दिन हो चुके हैं, लेकिन हालात नहीं सुधरे. लोग अाते हैं, कंबल देखते, लेकिन बिक्री नहीं हो पा रही है. हमलोगों ने पूरा स्टॉक लगाया है. उसी आधार पर मोल-मोलाई कर कंबल बेचते हैं.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement