अब तक 50 बार रक्तदान कर चुके हैं. मजहरूल ने बताया कि वर्ष 2008 में उन्हें पता चला कि धातकीडीह के तीन लोग दुमुहानी में डूब गये हैं. चूंकि वह तैरना जानते थे, डूबे लोगों को खोजने के लिए नदी में उतर गये. उन्होंने एक-एक कर तीनों युवकों को खोज निकाला. वहां मौजूद युवकों की सहायता से तीनों को नदी से बाहर निकाला. तीनों की जान तो नहीं बचा सके, लेकिन सभी के शव निकालने की उन्हें खुशी हुई. इसके बाद गोताखोरी के गुर सीखने कोलकाता गये. वहां सी एक्सप्लोर में सेना के जवानों के साथ ट्रेनिंग ली. इसके लिए उन्हें ट्रायल से गुजरना पड़ा. यहां 33 फीट गहरे चेंबर में डेढ़ माह तक लगातार ट्रेनिंग की. वहां से लौटने के बाद टाटा स्टील की मदद से गोताखोरी के उपकरण खरीदे.
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शौकिया तैराक से बने गोताखोर 300 से अधिक की जान बचायी
जमशेदपुर: टाटा स्टील सिक्यूरिटी में सब इंस्पेक्टर मजहरुल बारी (45) को तैराकी के शौक ने राज्यस्तर का गोताखोर बना दिया. अब तक 300 से अधिक लोगों की जान बचा चुके हैं. 50 से ज्यादा शव नदी से निकाल चुके हैं. टाटा स्टील की रिलीफ टीम के साथ सुनामी के समय तमिलनाडु, आइला तूफान के समय […]
जमशेदपुर: टाटा स्टील सिक्यूरिटी में सब इंस्पेक्टर मजहरुल बारी (45) को तैराकी के शौक ने राज्यस्तर का गोताखोर बना दिया. अब तक 300 से अधिक लोगों की जान बचा चुके हैं. 50 से ज्यादा शव नदी से निकाल चुके हैं. टाटा स्टील की रिलीफ टीम के साथ सुनामी के समय तमिलनाडु, आइला तूफान के समय पश्चिम बंगाल के सुंदरवन, अोड़िशा के भुवनेश्वर, पुरी, कटक के अलावा भूकंप के दौरान गुजरात अौर बाढ़ के समय बिहार के सहरसा में राहत कार्य चला चुके हैं.
जमशेदपुर हो, सरायकेला-खरसावां या चाईबासा, कहीं कोई डूब जाये, तो प्रशासन के अनुरोध पर नि:शुल्क सेवा देने पहुंच जाते हैं. उनकी सेवा भाव के लिए जिला प्रशासन की अनुशंसा पर 15 नवंबर, 2015 को झारखंड सरकार ने राज्य स्थापना दिवस पर प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया था. डूबते लोगों को तो बचाते ही हैं, लोगों की जान बचाने के लिए रक्तदान भी करते हैं.
अंडमान-निकोबार स्थित अमेरिकी संस्था प्रोफेशनल एसोसिएशन अॉफ ड्राइविंग इंस्ट्रक्टर (पाडी) में ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग के दौरान समुद्र में 100 फीट की गहराई में 20 दिन की बेसिक, एडवांस, रेस्क्यू ट्रेनिंग हुई. एक साल बाद फिर यहीं से ट्रेनिंग ली. इसी दौरान जमशेदपुर में वर्ष 2008 में भीषण बाढ़ आयी. कदमा, सोनारी क्षेत्र में फ्लैट में कई लोग फंसे थे. उन्होंने फ्लैट की खिड़की तोड़ कर उन्हें निकाला. ‘फालिन’ व ‘हुदहुद’ तूफान के बाद रेस्क्यू का काम किया. बारी अपने उपकरण सदैव साथ रखते हैं.
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