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सीएनटी और एसपीटी एक्ट का संशोधित विधेयक प्रारूप मंजूर
रांची : झारखंड कैबिनेट ने सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन संबंधी अध्यादेश में बदलाव कर संशोधित विधेयक प्रारूप को मंजूर किया है. संशोधित विधेयक प्रारूप में जमीन का मालिकाना हक यथावत रखने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है. वहीं, राष्ट्रपति को भेजे गये अध्यादेश में मालिकाना हक को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था. […]
रांची : झारखंड कैबिनेट ने सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन संबंधी अध्यादेश में बदलाव कर संशोधित विधेयक प्रारूप को मंजूर किया है. संशोधित विधेयक प्रारूप में जमीन का मालिकाना हक यथावत रखने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है. वहीं, राष्ट्रपति को भेजे गये अध्यादेश में मालिकाना हक को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था. बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पारित इस संशोधित विधेयक प्रारूप को 17 नवंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जायेगा.
संशोधन के दो विधेयक प्रारूपों को मंजूरी : कैबिनेट ने सीएनटी व एसपीटी में संशोधन के लिए तैयार दो विधेयक प्रारूपों को मंजूर किया है. एसपीटी एक्ट की धारा-13 में संशोधन के लिए तैयार किये गये विधेयक प्रारूप में इसका स्पष्ट उल्लेख है कि कृषि योग्य भूमि का गैर कृषि कार्यों में उपयोग करने पर किसी भी स्थिति में रैयत का मालिकाना हक खत्म नहीं होगा. संबंधित भूखंड पर इसका टाइटल, मालिकाना हक बना रहेगा. मालिकाना हक एसपीटी एक्ट 1949 के सुसंगत प्रावधानों के तहत बना रहेगा. पहले मालिकाना हक बने रहने का उल्लेख नहीं था.
सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लिए ली जा सकेगी जमीन : सीएनटी एक्ट की धारा 21 में संशोधन के लिए तैयार किये गये विधेयक प्रारूप में इसका स्पष्ट उल्लेख है कि कृषि योग्य जमीन का उपयोग गैर कृषि कार्यों में करने पर भी रैयत का मालिकना हक कायम रहेगा. पहले इस धारा में मालिकाना हक का स्पष्ट उल्लेख नहीं था. पहले सीएनटी एक्ट की धारा-49 में सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लिए उपायुक्त की अनुमति से सिर्फ खनन और उद्योगों के लिए जमीन हस्तांतरित करने का प्रावधान किया गया था. इसमें संशोधन कर 1 सी उपधारा जोड़ी गयी है. इस उपधारा में सरकारी कल्याणकारी योजनाओं सड़क, सिंचाई, बिजली, रेल, पेयजल, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, विश्वविद्यालय व आंगनबाड़ी के लिए भी जमीन हस्तांतरित करने का प्रावधान किया गया है.
जमीन का उपयोग पांच साल में नहीं करने पर रैयतों को वापस : सीएनटी एक्ट की धारा 49 (2) को पूर्व की तरह (राष्ट्रपति को भेजे गये अध्यादेश की तरह) ही रखा गया है. इस धारा में सरकारी कल्याणकारी कार्यों, उद्योग व खनन के लिए हस्तांतरित की गयी जमीन का उपयोग पांच साल के अंदर नहीं करने पर मूल रैयत को वापस करने का प्रावधान किया गया है. जमीन वापसी की स्थिति में भी रैयत को दी जा चुकी मुआवजे की रकम उससे वापस नहीं ली जायेगी. सीएनटी की मूल धारा-49 (2) में पहले जमीन का उपयोग नहीं करने पर वापसी के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं थी.
कंपनसेशन का प्रावधान समाप्त : संशोधित विधेयक प्रारूप में सीएनटी एक्ट की धारा-71 (ए) की उप धारा-2 को समाप्त करने का फैसला किया गया है. अध्यादेश प्रारूप में भी इसे समाप्त करने का प्रावधान किया गया था. इस उप धारा के समाप्त होने से आदिवासियों की जमीन कंपनशेसन के अाधार पर किसी को हस्तांतरित नहीं की जा सकेगी.
पंचायती राज संस्थाओं शक्तियों को मंजूरी : कैबिनेट ने 23 दिसंबर 2015 को स्वास्थ्य के क्षेत्र में पंचायती राज संस्थाओं को दी गयी शक्तियों को घटनोत्तर स्वीकृति दे दी. इसके तहत एएनएम का आकस्मिक अवकाश मुखिया स्वीकृत करेंगे. मुखिया के प्रतिवेदन के अाधार पर इनका वेतन भुगतान किया जायेगा. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और उप केंद्रों में पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित करायी जायेगी. डॉक्टरों की उपस्थिति से संबंधित प्रतिवेदन मुखिया के माध्यम से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को दी जायेगी. वेतन भुगतान के समय इस प्रतिवेदन का ख्याल रखा जायेगा. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के आकस्मिक अवकाश की स्वीकृति प्रमुख करेंगे. जिला स्तर पर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी की आकस्मिक छुट्टी जिला परिषद अध्यक्ष देंगे.
पुनर्वासितों को जमीन बेचने का अधिकार मिला
कैबिनेट ने परियोजनाओं से विस्थापित हो चुके या विस्थापित होनेवालों को पुनर्वास के लिए मिली या दी जानेवाली जमीन को बेचने का अधिकार देने का फैसला किया है. पहले उन्हें सरकार से पुनर्वास योजना के तहत मिली जमीन बेचने का अधिकार नहीं था. पुनर्वासित परिवारों को राज्य सरकार प्रमाण पत्र भी देगी, जिसमें जमीन के ब्योरे का साथ उनकी जाति का भी उल्लेख होगा, ताकि कोई पुनर्वासित व्यक्ति अपनी जमीन बेच दे तो भी उसे जाति प्रमाण पत्र बनाने में परेशानी नहीं हो.
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