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जवान की किडनी खराब विभाग ने नहीं की मदद

रांची: गढ़वा जिला बल के सिपाही बजेंद्र कुमार पासवान 17 अक्तूबर को रंका थाना क्षेत्र में अपराधी को पकड़ने के दौरान गिर कर जख्मी हो गये. उनके पेट में चोट लगी थी, जिससे उनकी एक किडनी खराब हो गयी. उसी दिन रांची के मेडिका अस्पताल में उन्हें गंभीरावस्था में भरती कराया गया. उन्हें 11 यूनिट […]

रांची: गढ़वा जिला बल के सिपाही बजेंद्र कुमार पासवान 17 अक्तूबर को रंका थाना क्षेत्र में अपराधी को पकड़ने के दौरान गिर कर जख्मी हो गये. उनके पेट में चोट लगी थी, जिससे उनकी एक किडनी खराब हो गयी. उसी दिन रांची के मेडिका अस्पताल में उन्हें गंभीरावस्था में भरती कराया गया. उन्हें 11 यूनिट ब्लड चढ़ाया गया. जहां एक ऑपरेशन के बाद उनकी स्थिति ठीक हुई है. एक किडनी खराब हो गयी है और 16 नवंबर को दूसरी किडनी का ऑपरेशन होना है. ड्यूटी के दौरान घायल होने के बाद भी बजेंद्र कुमार पासवान को विभाग की तरफ से कोई मदद नहीं मिली.

पुलिस मेंस एसोसिएशन की गढ़वा शाखा के पदाधिकारियों ने 20 हजार रुपये देकर उन्हें इलाज के लिए रांची भेजा था. जब उन्हें ब्लड की जरूरत हुई, तो एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने गढ़वा के एसपी को फोन किया. अनुरोध किया कि ब्लड देने के लिए कुछ जवानों को रांची भेज दें, लेकिन एसपी ने कोई मदद नहीं की. पुलिस मेंस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने किसी तरह ब्लड का इंतजाम किया. सिपाही बजेंद्र कुमार पासवान के परिवार और पुलिसकर्मियों ने कर्ज लेकर मेडिका अस्पताल का बिल भरा है. यहां उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों जैप के एडीजी रेजी डुंगडुंग ने पुलिस मुख्यालय को एक पत्र लिख कर आग्रह किया है कि पुलिसकर्मियों व उनके परिवार के लोगों को इलाज के लिए आइपीएस अधिकारियों की तरह व्यवस्था की जाये, ताकि इलाज में उन्हें कोई दिक्कत न आये.

अब तक नहीं मिला अनुदान : सिपाही बजेंद्र कुमार पासवान के इलाज में हो रहे खर्च के लिए पुलिस एसोसिएशन ने 18 अक्तूबर को डीआइजी बजट के यहां के आवेदन दिया. जिसमें अनुरोध किया गया कि इलाज के लिए कल्याण कोष से तुरंत राशि दी जाये, लेकिन आज की तारीख तक पुलिस मुख्यालय ने राशि देने का आदेश जारी नहीं किया है. अब तक उनके इलाज में 3.25 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं.

कोष में पड़े हैं 14 करोड़ : पुलिसकर्मियों के वेतन से काट कर पुलिस मुख्यालय तीन तरह के कोष का संचालन करता है. कल्याण कोष, परोपकारी कोष और शिक्षा कोष. कल्याण कोष से गंभीर रूप से बीमार पुलिसकर्मियों की मदद की जाती है, परोपकारी कोष से मृत पुलिसकर्मियों के आश्रित को सालाना छह हजार रुपये दिये जाते हैं और शिक्षा कोष से पुलिसकर्मियों के मेधावी बच्चों को अनुदान दिया जाता है. 31 जुलाई 2016 को कल्याण कोष में करीब चार करोड़ और परोपकारी कोष में करीब 10 करोड़ रुपया बचे थे. इस तरह पुलिसकर्मियों का करीब 14 करोड़ रुपये पड़े हुए हैं.

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