रांचीः अलग झारखंड गठन के बाद से विगत 11 वर्षो में विभिन्न विभागों के पास विकास योजनाओं के 145.52 करोड़ रुपये पड़े हुए हैं. ऑडिट रिपोर्ट में 36 विभागों के पास पड़ी हुई इस राशि को ट्रेजरी में जमा करना जरूरी बताया गया है.
यह राशि ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, राजस्व एवं भूमि सुधार, मानव संसाधन, पंचायती राज, उद्योग, पशुपालन, ग्रामीण कार्य, सूचना एवं जनसंपर्क, परिवहन, समाज कल्याण, कल्याण, वित्त, कृषि, गृह, खेलकूद, निबंधन, विज्ञान-प्रावैधिकी, कार्मिक प्रशासनिक सुधार, श्रम नियोजन, सांख्यिकी विभाग, खाद्य आपूर्ति, सहायता एवं पुनर्वास विभाग की ओर से कोषागार में जमा नहीं करायी गयी है.
जानकारी के अनुसार 11 वर्षो में 10 से अधिक विभागों में 15.46 करोड़ रुपये ककी गड़बड़ी का मामला भी उजागर हुआ है. यह राशि योजनाओं को पूरा करने के लिए संबंधित विभागों को दी गयी थी. विभागों में की गयी वित्तीय अनियमितता के संदर्भ में 139.01 करोड़ रुपये सरकार वसूल नहीं पायी है. यह आंकड़े विभिन्न विभागों के अंकेक्षण प्रतिवेदन के आधार पर वित्त विभाग की ओर से तैयार किये गये हैं.
जानकारों के अनुसार इस राशि से 58 हजार टय़ूबवेल और 45 हजार से अधिक इंदिरा आवास बनाये जा सकते थे.वित्त विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक राशि ग्रामीण विकास विभाग में पड़ी हुई है. सबसे कम राशि निबंधन विभाग की है.ग्रामीण विकास विभाग के 73.98 करोड़ रुपये और श्रम विभाग के पास 500 रुपये पड़े हैं. सहायता एवं पुनर्वास विभाग का 23.70 करोड़, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का 12.44 करोड़, कल्याण विभाग का 12.99 करोड़, कृषि विभाग का 14.31 करोड़, मानव संसाधन विभाग का 4.64 करोड़ रुपये बेकार पड़े हुए हैं.