राजधानी के कुछ उलझे व्यक्तियों की सोच की वजह से पढ़े-लिखे वर्ग व व्यापार घराने के लोग चुनाव में हिस्सा नहीं ले पायेंगे. उन लोगों की साजिश है कि वे लोग पढ़-लिखे वर्ग को अंजुमन का हिस्सा नहीं बनने देना चाहते हैं. ऐसे लोगों से हमें सचेत रहने की जरूरत है. जरूरत पड़ी, तो न्यायालय की शरण में जायेंगे. अंजुमन के बायलॉज में जो कुछ संशोधन किये गये हैं, वह पूर्णता विधि सम्मत हैं.
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सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले से अंजुमन इसलामिया नाराज
रांची: राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले से अंजुमन इसलामिया के सदस्य नाराज हैं. उनका कहना है कि बोर्ड का फैसला एक पक्षीय है. बोर्ड को फैसला लेने से पहले उनका भी पक्ष जानना चाहिए था. उक्त बातें अंजुमन के सदर इबरार अहमद ने कही. वे गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने […]
रांची: राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले से अंजुमन इसलामिया के सदस्य नाराज हैं. उनका कहना है कि बोर्ड का फैसला एक पक्षीय है. बोर्ड को फैसला लेने से पहले उनका भी पक्ष जानना चाहिए था. उक्त बातें अंजुमन के सदर इबरार अहमद ने कही. वे गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने ने कहा कि चुनाव समय पर हो, इसके पक्षधर हम भी हैं.
इसकी पूरी जानकारी वक्फ बोर्ड को दी गयी थी, बावजूद बोर्ड ने अंजुमन द्वारा संशोधित नियमावली संबंधी किसी प्रकार का स्पष्टीकरण नहीं पूछा अौर बोर्ड ने पुराने बायलॉज से चुनाव कराने का आदेश जारी कर दिया. उन्होंने कहा कि बोर्ड अपने इस आदेश में वक्फ एक्ट के प्रावधान सेक्शन 32 की संख्या दो के सब सेक्शन इ-111 का भी पालन नहीं किया है. संवाददाता सम्मेलन में महासचिव हाजी मोख्तार अहमद, एन जुबैरी, नौशाद सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे.
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