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मुसलिम राष्ट्रीय मंच का अल्पसंख्यक सम्मेलन, बोले इंद्रेश कुमार दूसरों के मजहब का सम्मान करें
रांची: मुसलिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक सह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय समिति के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि अच्छी जिंदगी के लिए दीनी और दुनियावी तालीम जरूरी है़ दीनी तालीम कट्टर नहीं, बल्कि नेक और सच्चा इनसान बनाती है़ वहीं दुनियावी तालीम मजबूरी और बदहाली से बाहर निकालती है़ अपने मजहब के अनुसार […]
रांची: मुसलिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक सह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय समिति के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि अच्छी जिंदगी के लिए दीनी और दुनियावी तालीम जरूरी है़ दीनी तालीम कट्टर नहीं, बल्कि नेक और सच्चा इनसान बनाती है़ वहीं दुनियावी तालीम मजबूरी और बदहाली से बाहर निकालती है़ अपने मजहब के अनुसार चलें और दूसरों के मजहब का सम्मान करे़ं हमारी जुबान और काम ऐसे हो, जिससे किसी का दिल न दुखे़ हर ईमान वाले को वतन से मुहब्बत व इसकी हिफाजत की नसीहत मिली है़ यह रास्ता जन्नत की ओर ले जाता है़.
वे मुसलिम राष्ट्रीय मंच द्वारा तालीम, तरक्की और राष्ट्रीय एकता विषय पर मैथन हॉल, बरियातू रोड में आयोजित अल्पसंख्यक सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे़ उन्होंने कहा कि तमाम सेक्युलरवादी पार्टियों ने पिछले 70 सालों में मुसलमानों के अंदर हिंदुस्तानियत को जीने नहीं दिया़ बहादुरशाह जफर, शेख भिखारी, बेगम हजरत महल, अशफाकुल्लाह खां जैसे लोगों की कुरबानियों को सलाम करने का मौका नहीं दिया़ मुसलमानों को एक ऐसे बंद रास्ते में डाल दिया, जिसमें तालीम, तरक्की व रोशनी नहीं थी़ इसलाम अपने वतन से मुहब्बत का संदेश देता है़ 15 अगस्त व 26 जनवरी को हम उन्हें याद करते हैं, जिन्होंने देश के लिए अपनी कुरबानी दी़ मदरसों और मुसलिम मुहल्लों में भी तिरंगा लहराना चाहिए़ मुसलमानों ने भी देश की आजादी के लिए कुरबानी दी है़ .
हिंदू धार्मिक नहीं, राष्ट्रीय शब्द: उन्होंने कहा कि आर्यावर्त, हिंदुस्तान, भारत, इंडिया जैसे शब्दों से यहां के लाेगों के लिए आर्य, हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तानी, भारतीय, इंडियन जैसे शब्द आये़ ये समानार्थी और पर्यायवाची शब्द है़ं हिंदू धार्मिक नहीं, राष्ट्रीय शब्द है़ देश के 99 फीसदी मुसलमान व ईसाई अपने पूर्वज, अपनी धरती, बोली, परंपराओं व तहजीब से हिंदुस्तानी थे, हिंदुस्तानी हैं और हिंदुस्तानी रहेंगे़ हर धर्म की पूजा पद्धति अलग-अलग रही है और इस देश में इसके अनुपालन की आजादी रही है़.
सभी मुसलमानों का प्रतिनिधि नहीं है मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड : उन्होंने कहा कि मुसलमानों में 72 फिरके हैं और मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड इन सबका प्रतिनिधित्व नहीं करता़ महिलाओं की आबादी 50 फीसदी है और वे भी तीन तलाक के मामले पर कोर्ट गयी है़ं कुरान शरीफ में बताया गया है खुदा को सबसे ज्यादा नापसंद गुनाह तलाक है़ तलाकशुदा महिलाओं और उनके बच्चों की तकलीफ देखे़ं बेटियां को सौभाग्य मानना चाहिए़ भ्रूण हत्या, बलात्कार, हिंसा जैसी बातें नहीं होनी चाहिए़ बदलाव, तरक्की और खुशी चाहते हैं, तो तलाक से मुक्त करने की सोचे़ं.
शहीदों को श्रद्धांजलि दी, अनाज बैंक का उदघाटन किया : सेमिनार से पूर्व उन्होंने चुटूपालू घाटी में मुसलिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ताओं व अन्य गणमान्य लोगों के साथ शहीद भिखारी व टिकैत उमराव सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित किया़ सम्मेलन के दौरान मुसलिम राष्ट्रीय मंच अनाज बैंक का उदघाटन किया और सामाजिक सदभाव के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पतरातू के शाहिद अंसारी व गुमला के जहीर खान को सम्मानित किया़ सेमिनार में मुसलिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ शाहिद अख्तर ने भी संबोधित किया़ इस अवसर पर मो सलीम अशरफ, विधायक जीतू चरण राम, हाजी अफसर कुरैशी, गोलक बिहारी, अनाज बैंक की प्रबंधक सरवरी बेगम, रजी अहमद, फरहाना खातून, कुद्दूस अंसारी, कयामुद्दीन खां, जियाउल अशरफी, प्रो अशफाक आलम, करीम खान, फरजाना खातून व अन्य मौजूद थे़
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