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सख्ती: धारा 144 लागू होने के कारण पुलिस ने बड़कागांव में घुसने की अनुमति नहीं दी, नेताओं को बड़कागांव जाने से रोका

बड़कागांव गोलीकांड को विपक्ष ने मुद्दा बना लिया है़ मंगलवार को राज्य के विपक्षी दलों के कई बड़े नेता बड़कागांव के रैयतों और किसानों से मिलना चाहते थे, लेकिन नेताओं को धारा 144 लागू होने के कारण बड़कागांव में घुसने की अनुमति नहीं मिली़ पुलिस ने उन्हें रोक दिया़ गांव में घुसने से रोकने पर […]

बड़कागांव गोलीकांड को विपक्ष ने मुद्दा बना लिया है़ मंगलवार को राज्य के विपक्षी दलों के कई बड़े नेता बड़कागांव के रैयतों और किसानों से मिलना चाहते थे, लेकिन नेताओं को धारा 144 लागू होने के कारण बड़कागांव में घुसने की अनुमति नहीं मिली़ पुलिस ने उन्हें रोक दिया़ गांव में घुसने से रोकने पर नेताओं ने सरकार को कोसा़ झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, झामुमो सह प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन, सांसद प्रदीप बलमुचु, विधायक चंपई सोरेन, योगेंद्र महतो, कुणाल षाड़ंगी, पूर्व मंत्री बंधु तिर्की, जय प्रकाश भाई पटेल, पूर्व सांसद और भाकपा नेता भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, राजद के प्रदेश अध्यक्ष गौतम सागर राणा, पूर्व विधायक जनार्दन पासवान, सीपीएम के राज्य सचिव गोपीकांत बक्शी, माले नेता शुभेंदु सेन सहित कई नेता बड़कागांव जा रहे थे.
पुलिस दमन की सूचना मिली, तो फिर आयेंगे बड़कागांव : बाबूलाल मरांडी
बड़कागांव़ पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि बड़कागांव के किसानों को 20 लाख रुपये प्रति एकड़ जमीन का मुआवजा देना बिल्कुल गलत है. केंद्र सरकार से मांग की गयी कि सरकार जिस तरह एनटीपीसी, कोल कंपनी और उद्योग लगाने के लिए जमीन उपलब्ध करा रही है, उसी तरह बड़कागांव के किसानों के लिए भी जमीन उपलब्ध कराये. वहां के किसानों का मुख्य जीविकोपार्जन कृषि है. किसानों को जमीन के बदले जमीन मिलनी चाहिए. बड़कागांव के लोगों को उजाड़ने से पहले उनकी आवाज को गोलियों से दबाने का प्रयास हो रहा है. श्री मरांडी बड़कागांव से लौट कर परिसदन में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि बड़कागांव के किसी भी इलाके से पुलिस ज्यादती की सूचना मिली, तो हम कुछ नहीं देखेंगे. बड़कागांव की जनता के बीच हाजिर होंगे. श्री मरांडी ने कहा कि यह योगेंद्र साव व निर्मला देवी का मामला नहीं है. मामला पूरे बड़कागांव क्षेत्र की जनता जुड़ा है.
हत्यारी हो गयी है रघुवर सरकार तत्काल इस्तीफा दे : हेमंत सोरेन
रांची/उरीमारी. पूर्व मुख्यमंत्री व प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि रघुवर सरकार हत्यारी सरकार है. इस सरकार को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए. सरकार ने निहत्थे लोगों पर गोली चला कर उनकी हत्या की है. भाजपा व्यापारियों के हित की बात करनेवाली पार्टी है. गोला से लेकर बड़कागांव तक गोली के बल पर सरकार किसानों व विस्थापितों की आवाज दबाना चाहती है. झामुमो इसे बरदाश्त नहीं करेगा. आंदोलन दो-तीन दिन से नहीं, कई महीनों से चल रहा है. बड़कागांव की घटना महज एक मशीन को ले जाने को लेकर हुई है. स्थानीय सांसद ने बड़कागांव के विस्थापितों को सीएम के समक्ष ले जाकर विश्वास दिलाया था कि उनकी मांगों पर विचार किया जायेगा. यहां ग्रामीणों को सीएम से मिलाया गया और दूसरी ओर गोली चला दी गयी. जिस उम्मीद के साथ लोगों ने बहुमत वाली सरकार बनाने का काम किया था, वह विफल साबित हो रहा है. विधायक के लापता होने के मामले में कहा कि विधायक कोई चींटी नहीं हैं. इस मामले में सरकार को जवाब देना होगा.
राज्य सरकार तानाशाह हो गयी है, यहां राजतंत्र जैसा माहौल : प्रदीप बलमुचु
राज्यसभा सांसद प्रदीप बलमुचु ने कहा कि हम तीन लोग बड़कागांव जाना चाहते थे़ हम भीड़ लेकर नहीं जा रहे थे़ 144 लागू है, तो हम कोई सभा नहीं कर रहे थे़ प्रशासन का रवैया ठीक नहीं है़ रघुवर दास तानाशाह की तरह व्यवहार कर रहे है़ं झारखंड में लोकतंत्र की हत्या कर दी गयी है़ यहां राजतंत्र जैसा माहौल है़ उन्होंने कहा कि केंद्रीय राज्य मंत्री सह सांसद जयंत सिन्हा की संलिप्तता घटना में है. किसी मंत्री के क्षेत्र में तब, जब केंद्र और राज्य में उनकी सरकार है, वहां जनता पर गोलीबारी हो, यह उनकी इजाजत के बगैर नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा कि 15 दिनों से शांतिपूर्वक विधायक निर्मला देवी आंदोलन चला रही थीं. एक महिला विधायक को रात में गिरफ्तार किया गया. उनके साथ किया गया सलूक निंदनीय है. उन्होंने कहा कि मृतक के परिजनों को सरकारी नौकरी व 25-25 लाख का मुआवजा मिले.प्रदीप बलमुचु समेत अन्य को पंकरी गांव के पास प्रशासन ने आगे जाने से रोक दिया था़.
किसी भी प्रस्ताव को प्रशासन ने नहीं माना
राजद के प्रदेश अध्यक्ष गौतम सागर राणा ने बैरियर लगा कर नेताओं को रोकने पर डीडीसी राजेश पाठक से कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी समेत सभी नेता कानून को माननेवाले हैं. पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करना चाहते हैं. वहां कोई भाषण नहीं होगा, सभा नहीं होगी, लेकिन उनकी बातों को नहीं सुना गया. बाद में प्रशासन को प्रस्ताव दिया गया कि सभी दलों के एक-एक नेता को जाने की इजाजत दी जाये. इस पर भी डीडीसी नहीं माने और उन्हें रोक किया.

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