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आगे जीतें या हारें, झारखंडी बन कर रहूंगा

रांची: राज्यसभा सांसद परिमल नथवाणी ने कहा है कि वर्ष 2008 में उन्होंने जो वादा किया था, उसे पूरा किया. झारखंड को देने आया हूं, लेने नहीं. पिछले पांच वर्षो में सांसद और व्यक्तिगत निधि से राज्य के अलग-अलग हिस्से में विकास और लोगों की समस्याएं दूर करने का प्रयास किया. आगे जीतें या हारें, […]

रांची: राज्यसभा सांसद परिमल नथवाणी ने कहा है कि वर्ष 2008 में उन्होंने जो वादा किया था, उसे पूरा किया. झारखंड को देने आया हूं, लेने नहीं. पिछले पांच वर्षो में सांसद और व्यक्तिगत निधि से राज्य के अलग-अलग हिस्से में विकास और लोगों की समस्याएं दूर करने का प्रयास किया. आगे जीतें या हारें, झारखंडी बन कर रहूंगा. झारखंड हमारी कर्मभूमि है.

श्री नथवाणी बुधवार को झारखंड मेरी कर्मभूमि नाम से जारी कॉफी टेबल बुक के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे. कॉफी टेबल बुक के माध्यम से सांसद ने पिछले पांच वर्षो में झारखंड में सांसद निधि और व्यक्तिगत प्रयास से किये गये कार्यो का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया. सांसद के कार्यो से जुड़े कॉफी टेबल बुक का लोकार्पण स्कूली छात्र यसफिया परवीन और उग्रवादी संगठन छोड़ सामाजिक कार्य कर रहे गुमला के थिंबू उरांव ने संयुक्त रूप से किया.

श्री नथवाणी ने कहा कि वह झारखंड में रिलायंस के लिए काम करने नहीं आये हैं. यहां के लिए बेहतर करने का सपना रखते हैं. भविष्य में झारखंड के लिए बहुत कुछ करने की तमन्ना है. झारखंड संसाधन से भरा है, लेकिन यहां गरीबी है. झारखंड के लोगों की बेरोजगारी दूर करनी होगी. राज्य में आधारभूत संरचना तैयार करने की जरूरत है. बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा आम आदमी तक पहुंचाना होगा.

श्री नथवाणी ने कहा कि राज्य के लिए औद्योगिकीकरण जरूरी है. नक्सलवाद के खिलाफ लाठी-गोली से नहीं लड़ी जा सकती है. पाकिस्तान और चीन से हम वार्ता कर सकते हैं, तो नक्सली अपने घर के हैं. राज्य को एक थिंबू उरांव नहीं, कई थिंबू की जरूरत है. झारखंड को आज गुड गवर्नेस व इच्छा शक्ति वाले नेतृत्वकर्ता की जरूरत है.

समारोह में गुजरात से आये हेमंत देसाई, सांसद के सलाहकार संदीप वर्मा, नूसरत जहां और विभूति सहाय मौजूद थे. कार्यक्रम का संचालन नितिन भट्ट ने किया. मौके पर स्कूली छात्र यसफिया और थिंबू उरांव को सांसद ने सम्मानित किया. कार्यक्रम के समापन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए श्री नथवाणी ने कहा कि भविष्य को लेकर अभी से कोई तैयारी नहीं है. परिस्थितियों पर निर्णय होगा. आनेवाले दिनों में तय करेंगे कि क्या करना है. लेकिन आगे भी चुनाव लड़ने की इच्छा है. यह पूछने पर कि किसी राजनीतिक दल में शामिल होंगे. श्री नथवाणी ने कहा कि अभी तय नहीं किया है, समय पर निर्णय लेंगे. जब यह पूछा गया कि हार गये, तो झारखंड छोड़ देंगे. श्री नथवाणी ने कहा कि अब झारखंडी बन गया हूं. जीतें या हारें, यहीं रहेंगे. मेरा कार्यालय चलता रहेगा.

थिंबू अब मुखिया हैं
कॉफी टेबल बुक का लोकार्पण करने गुमला जिला से थिंबू उरांव पहुंचे थे. थिंबू उरांव माओवादी संगठन से जुड़े थे. वर्ष 2000 में पकड़े गये. कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद थिंबू ने रास्ता बदल दिया. अब गुमला के घाघरा ब्लॉक के बदरी पंचायत के मुखिया हैं. शिक्षा का अलख जगा रहे हैं. गुमला के पुटो में स्कूल चलाते हैं. पेड़ के नीचे बच्चों को पढ़ाते हैं. सांसद नथवाणी ने गांव में चलनेवाले स्कूल के भवन निर्माण के लिए सांसद निधि से पैसे दिये हैं. समारोह में थिंबू उरांव ने कहा कि नेता-मंत्री दिशाविहीन हो गये हैं. अपने स्वार्थ में लगे हैं. लोग कानून के दायरे से बाहर जा रहे हैं, इसके लिए व्यवस्था दोषी है. झारखंड को लूटने का काम किया गया. नथवाणी को बाहरी बताया गया, लेकिन झारखंड के ही आदिवासियों ने झारखंड को लूटा. श्री उरांव ने कहा कि हालात देख कर लगता है कि एक बार फिर कानून के दायरे से बाहर निकल जाऊं. लेकिन फिर मंथन करता हूं कि बंदूक रास्ता नहीं है. सामाजिक काम से रास्ता बनाया जा सकता है.

11 करोड़ खर्च, 650 प्रश्न पूछे
कॉफी टेबल बुक में सांसद के कार्यो का पूरा विवरण दिया गया है. राजधानी सहित झारखंड के दूसरे हिस्से में कराये गये कार्यो का पूरा विवरण है. सांसद ने अब तक अपने फंड से 11 करोड़ रुपये के विकास कार्य किये हैं. इस वर्ष के अंत तक 18 करोड़ खर्च करने का लक्ष्य है. वहीं संसद में उन्होंने 650 प्रश्न पूछे हैं. कॉफी टेबल बुक में प्रश्नों का पूरा विवरण दिया गया है. इसमें झारखंड के विकास, गवर्नेस और केंद्र सरकार के भावी कार्य योजना से संबंधित प्रश्न हैं.

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