रांची: आदित्यपुर टॉल ब्रिज में दोपहिया वाहनों को टॉल फ्री करना सरकार के लिए महंगा पड़ा है. आदित्यपुर टॉल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (एटीबीसीएल) ने छूट के एवज में सरकार से 72 लाख, 34 हजार 645 रुपये मुआवजे की मांग की है. यह रकम अक्तूबर 2012 से 30 अप्रैल 2013 तक की अवधि के लिए है. कंपनी के जीएम संजय शुक्ला ने उद्योग सचिव को पत्र भेज कर मुआवजे की मांग की है. सरकार पसोपेश में पड़ गयी है कि रकम का भुगतान कैसे और किस मद से किया जाये.
चूंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा के आदेश पर पथ निर्माण विभाग ने टॉल माफ करने की अधिसूचना जारी कर दी थी, जबकि सड़क उद्योग विभाग ने पीपीपी मोड पर बनवाया था.
क्या है मामला : आदित्यपुर टॉल ब्रिज 15.7.2011 से आरंभ हुआ है. 71 करोड़ की लागत से टॉल ब्रिज का निर्माण किया गया. इसमें राज्य सरकार की ओर से एसाइड योजना से 6.77 करोड़ रुपये दिये गये थे. उद्योग विभाग द्वारा पीपीपी मोड पर टॉल ब्रिज का निर्माण किया गया. इसके लिए आदित्यपुर टॉल ब्रिज कंपनी लिमिटेड बनायी गयी. वर्ष 2007 में हुए एग्रीमेंट के मुताबिक टॉल ब्रिज पर दोपहिया वाहनों से भी टॉल वसूलना था. टॉल की वसूली भी हो रही थी. इसी बीच अक्तूबर 2012 में जमशेदपुर सड़क यात्र के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा ने दोपहिया वाहनों पर टॉल हटाने की घोषणा कर दी.
सूत्रों ने बताया कि इसका प्रस्ताव उद्योग विभाग के पास गया था, पर उद्योग विभाग ने एग्रीमेंट का हवाला देते हुए टॉल माफ करने से इनकार दिया था. इसके बाद 20 अक्तूबर 2012 को पथ निर्माण विभाग ने टॉल माफ करने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी. इधर, कंपनी ने जो आंकड़ा भेजा है, उसके मुताबिक औसतन प्रतिदिन 71 सौ टू व्हीलर ब्रिज से गुजरते हैं. पांच रुपये प्रति टू व्हीलर की दर से कंपनी को प्रतिदिन 35 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है. कंपनी ने अप्रैल 2013 तक टॉल माफ किये जाने के एवज में मुआवजे की मांग की है. इस मुद्दे पर बुधवार को मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने बैठक की. उन्होंने पथ निर्माण सचिव, वित्त सचिव व उद्योग सचिव की तीन सदस्यीय कमेटी को मामला सुलझाने का निर्देश दिया है.