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पीजी लाइब्रेरी का हाल बाहरी व्यक्तियों को पुस्तकें

रांची: रांची विवि अंतर्गत स्नातकोत्तर (पीजी) विभागों की लाइब्रेरी से बाहरी व्यक्तियों को पुस्तकें दी जा रही हैं. पुस्तकें देने के एवज में विभाग द्वारा कौशन मनी के रूप में प्रति पुस्तक के हिसाब से रुपये भी लिये जा रहे हैं. इतना ही नहीं विभाग में रेगुलर विद्यार्थियों से भी लाइब्रेरी से पुस्तकें देने के […]

रांची: रांची विवि अंतर्गत स्नातकोत्तर (पीजी) विभागों की लाइब्रेरी से बाहरी व्यक्तियों को पुस्तकें दी जा रही हैं. पुस्तकें देने के एवज में विभाग द्वारा कौशन मनी के रूप में प्रति पुस्तक के हिसाब से रुपये भी लिये जा रहे हैं. इतना ही नहीं विभाग में रेगुलर विद्यार्थियों से भी लाइब्रेरी से पुस्तकें देने के नाम पर रुपये लिये जा रहे हैं. उक्त मामला पीजी अंगरेजी विभाग का है. जहां एक छात्र पिंकी एक्का को विभाग की लाइब्रेरी से पुस्तकें दे दी गयी हैं, जबकि पिंकी एक्का न तो विभाग की छात्र है और न ही शाोधार्थी है. विभाग द्वारा उन्हें स्ट्ररल लिंग्विस्टिक व ए लिंग्विस्टिक गाईड टू इंगलिश पोएट्री नामक दो पुस्तकें दी गयी हैं. पुस्तकें देने के एवज में प्रति पुस्तक 500 रुपये कौशन मनी के रूप में भी लिये गये हैं.

क्या है नियम : विवि अंतर्गत विभागों की लाइब्रेरी से पुस्तकें नियमित छात्र या शिक्षक ले सकते हैं. अगर कोई व्यक्ति उक्त विभाग के माध्यम से शोध कर रहा है या फिर शोधार्थी के गाईड ही ले सकते हैं. छात्रों को फाइनल परीक्षा या फिर सीएलसी लेते समय सभी पुस्तकें लौटाते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना आवश्यक होता है. शोधार्थी को भी फाइनल थिसिस जमा करते वक्त ली गयी पुस्तकें लौटानी होती हैं. रेगुलर छात्रों को 15 दिनों के लिए पुस्तकें मिलती हैं.

गलत हो रहा है : डीएसडब्ल्यू
रांची विवि के डीएसडब्ल्यू डॉ सतीश चंद्र गुप्ता ने कहा है कि पीजी विभाग के सेमिनार लाइब्रेरी से उक्त विभाग के ही रेगुलर छात्र व शिक्षक, शोधार्थी व गाईड ही पुस्तकें ले सकते हैं. बाहरी व्यक्ति को पुस्तकें नहीं दी जा रही हैं, यह गलत है. साथ ही रेगुलर विद्यार्थियों से कौशन मनी के रूप में राशि लेने का कोई प्रावधान नहीं है. रेगुलर स्टूडेंट को आइकार्ड के आधार पर ही पुस्तकें मिलेंगी.

सिक्यूरिटी के लिए पैसे लिये जा रहे हैं : डॉ किरण
पीजी अंग्रेजी की अध्यक्ष डॉ किरण मिश्र ने कहा है कि बुक की सिक्यूरिटी के लिए एक विद्यार्थी से 500 रुपये कौशन मनी के रूप में लिये जा रहे हैं. इसमें रेगुलर स्टूडेंट भी हैं. लाइब्रेरी में मेंबरशिप कार्ड दिये जा रहे हैं. फाइनल परीक्षा के समय कौशन मनी के रूप में ली गयी राशि वापस कर दी जायेगी. विभाग के लाइब्रेरी में कोई लाइब्रेरियन नहीं है, इसलिए ऐसा कदम उठाना पड़ा है. जहां तक बाहरी व्यक्ति द्वारा पुस्तक लिये जाने का मामला है, तो मेरी जानकारी में नहीं है. वैसे भी यह गलत है. ऐसा नहीं हो सकता. इसकी जांच करायी जायेगी.

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