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40 माइक्रोन से कम घनत्ववाले पॉलिथीन का हो रहा है खुलेआम उपयोग, पॉलिथीन की न बिक्री रुकी, न ही उत्पादन

रांची : झारखंड में 40 माइक्रोन से कम घनत्ववाले पॉलिथीन की बिक्री व इसके इस्तेमाल पर रोक है. पर, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के इस आदेश का राज्य में असर नहीं है. यहां खुलेआम 40 माइक्रोन से कम घनत्ववाले पॉलिथीन का उत्पादन हो रहा है. बिक्री हो रही है. वर्ष 2011-12 में पॉलिथीन पर […]

रांची : झारखंड में 40 माइक्रोन से कम घनत्ववाले पॉलिथीन की बिक्री व इसके इस्तेमाल पर रोक है. पर, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के इस आदेश का राज्य में असर नहीं है. यहां खुलेआम 40 माइक्रोन से कम घनत्ववाले पॉलिथीन का उत्पादन हो रहा है. बिक्री हो रही है. वर्ष 2011-12 में पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगने के शुरुआती कुछ महीनों में रांची सहित राज्य के कई जिलों में अभियान चलाया गया. कई लोगों पर प्राथमिकी भी हुई. पर, धीरे-धीरे इसकी रफ्तार कम होती गयी.
कंपोजेटेबल प्लास्टिक के कैरी बैग भी बैन : झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा जारी पॉलिथीन बैन करने से संबंधित अधिसूचना में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति 40 माइक्रोन से कम घनत्ववाले प्लास्टिक या रिसाइक्लिड प्लास्टिक से बने किसी कैरी बैग, कंटेनर का निर्माण, वितरण, बिक्री या उपयोग करते पकड़ा जायेगा, तो उस पर कार्रवाई होगी. पर्षद ने गुटखा, तंबाकू और पान मसाला के भंडारण, पैकिंग या बिक्री हेतु प्लास्टिक के पाउच के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है. खाद्य सामग्री के भंडार करने, ढुलाई करने, वितरण करने या पैकेजिंग के लिए रिसाइक्लिड प्लास्टिक या कंपोजेटेबल प्लास्टिक से बने कैरी बैग के उपयोग पर भी रोक लगा दी गयी है. प्लास्टिक के कैरी बैग के निर्माण करने के पूर्व भी राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से सर्टिफिकेट लेना भी अनिवार्य किया गया है.
कौन चलायेगा अभियान, भ्रम में है विभाग : रांची में वर्ष 2011-12 में पॉलिथीन के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया. उस वक्त डीसी केके सोन थे और एसडीओ शेखर जमुआर थे. श्री जमुआर ने पूरे शहर में अभियान चलाया. इस दौरान कई बड़े प्रतिष्ठानों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी थी. राजधानी के वर्तमान एसडीओ आदित्य कुमार आनंद का कहना है कि पॉलिथीन के खिलाफ अभियान नगर निगम द्वारा चलाया जाना है. इस पर प्रशासन को कुछ नहीं करना है.
कई संस्थानों ने शुरू किया 40 माइक्रोन के पॉलिथीन का इस्तेमाल : जिला प्रशासन द्वारा छापेमारी और कार्रवाई के बाद कई शहर के बड़े प्रतिष्ठानों ने 40 माइक्रोन से अधिक का पॉलिथीन बैग इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. इसके बावजूद कई छोटे-छोटे स्टॉल, सब्जी बिक्रेता, मांस-मछली बिक्रेता व दुकानों पर 40 माइक्रोन से कम के पॉलिथीन का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है. कुछ माह पूर्व पॉलिथीन का उपयोग नहीं करने को लेकर पहाड़ी मंदिर में अभियान चला. यह अभियान भी पहाड़ी मंदिर तक ही सिमट कर रह गया.
जूट के थैले का इस्तेमाल करें : सीपी सिंह
नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने आम जनता से अनुरोध किया है कि पॉलिथीन की जगह जूट के थैले का इस्तेमाल करें. उन्होंने कहा : जनता पॉलिथीन के दुष्प्रभावों को गंभीरता से ले. सरकार नहीं चाहती है कि कोई सख्ती बरती जाये. जिस तरह से प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ रहा है, विवश होकर नगर निगम समेत सभी अरबन लोकल बॉडीज (यूएलबी) को कड़ा निर्देश जारी करना पड़ेगा. क्योंकि शहर की सफाई की जिम्मेवारी उनकी होती है. जब वह कड़ाई करेंगे, तो जनता को प्लास्टिक इस्तेमाल बंद करना पड़ेगा. इससे पहले कि यूएलबी कोई कदम उठाये, जनता जागरूक होकर पॉलिथीन का इस्तेमाल बंद करें. श्री सिंह ने कहा : पर्यावरण साफ-सुथरा रखना है तो सबसे पहले प्लास्टिक का प्रयोग बंद करना पड़ेगा. यह केवल कानून से नहीं होगा, बल्कि लोगों को इसके लिए खुद पहल करनी होगी. प्लास्टिक के थैले की जगह जूट के थैले के इस्तेमाल करें, तो स्वत: यह समस्या समाप्त हो जायेगी. मंत्री ने कहा कि आज यदि शहर में कहीं कचरा है, तो इसकी सबसे बड़ी वजह पॉलिथीन है. एक मंत्री के नाते वह जनता से बार-बार अनुरोध कर रहे हैं कि प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करें. मंत्री ने बताया कि जब वह विधानसभा अध्यक्ष थे, तब पॉलिथीन का इस्तेमाल रोकने के लिए 10 हजार जूट बैग लोगों के बीच बंटवाया था. पर, आज फिर से सबके हाथों में पॉलिथीन आ गया है. जूट का बैग कहीं नहीं दिखता.
हमें बतायें
यदि अपने संस्थान, प्रतिष्ठान, स्कूल, कॉलेज, साेसाइटी, घर काे पॉलिथीन फ्री किया है, ताे हमें बतायें. आपकी बातें हम पाठकाें तक पहुंचायेंगे, ताकि वह भी इससे प्रेरणा लेकर मुहिम में शामिल हाें. पॉलिथीन के खिलाफ काेई मुहिम भी चलाते हैं, ताे इसका भी ब्याेरा हमें भेजें. आप अपना ब्याेरा मेल आइडी vivek.chandra@prabhatkhabar.in पर भेजें.

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