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राज्यपाल ने हार्प व आइआइएनआरजी का दौरा किया, कहा किसानों को नयी तकनीक से जोड़ें

नामकुम: कृषि की नयी तकनीक व उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग के अभाव में किसान आज भी अपने हिस्से के मुनाफे से वंचित हैं. संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद किसान गरीब हैं. इसका सबसे बड़ा कारण उनमें जागरूकता का अभाव है. एक ग्रामीण किसान जंगलों में जाकर लाह जमा करता है, लेकिन व्यवस्था के हाथों विवश […]

नामकुम: कृषि की नयी तकनीक व उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग के अभाव में किसान आज भी अपने हिस्से के मुनाफे से वंचित हैं. संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद किसान गरीब हैं. इसका सबसे बड़ा कारण उनमें जागरूकता का अभाव है. एक ग्रामीण किसान जंगलों में जाकर लाह जमा करता है, लेकिन व्यवस्था के हाथों विवश होकर उसे औने-पौने दाम में ही बिचौलियों से सौदा करना पड़ता है, जबकि व्यापारी उसी लाह को ऊंचे कीमत पर बेच कर अधिक लाभ कमा लेते हैं. यह स्थिति सही नहीं है.

सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे किसानों के लिए कृषि लाभदायक बन सके. यह बातें राज्यपाल द्रौपद्री मुरमू ने कही. वे शुक्रवार को नामकुम के पलांडू स्थित हार्प व भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान के अपने दौरे के क्रम में बोल रही थीं.

राज्यपाल ने कहा कि वैसे किसानों को नयी तकनीक से जोड़ने की आवश्यकता है, जिनके पास जमीन तो है, लेकिन वे संसाधनहीन तथा खेती की उन्नत तकनीकों से अनभिज्ञ हैं. राज्यपाल ने हार्प भ्रमण के दौरान वहां के प्रक्षेत्र को देखा. फलों व सब्जियों के क्षेत्र में वैज्ञानिक शोध व क्रियाकलापों की जानकारी ली. वहीं आइआइएनआरजी में राज्यपाल ने संस्थान के प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान लाह पोषक वृक्षों की देखरेख व लाह कीटों के प्रबंधन के तरीकों को जाना. राज्यपाल ने यहां आयोजित कौशल एवं उद्यमिता विकास पर आधारित प्रशिक्षण सत्र के समापन के मौके पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी सौंपे. उनसे लाह के क्षेत्र को रोजगारपरक बनाने की बात कही.
राज्यपाल ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि अधिक से अधिक किसान वैज्ञानिक तरीकों से रूबरू हों व अपनी आय बढ़ा कर देश व समाज में बदलाव लायें. मौके पर संस्थान के निदेशक डॉ केके शर्मा, डॉ एके सिंह, डॉ एन प्रसाद, डॉ आलोक, डॉ आरके योगी, डॉ अंजेश कुमार, डीके सिंह सहित अन्य उपस्थित थे.
राज्यपाल ने दोनों संस्थानों में पौधरोपण भी किया.
सरकार के पौधरोपण कार्यक्रम की सराहना
अोड़िशा के कृषकों के बीच कार्यानुभव का स्मरण करते हुए राज्यपाल ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों एवं समेकित जनजातीय विकास अभिकरण (आइटीडीए) जैसे अन्य विभागों के बीच सशक्त तालमेल से से ही तकनीकों को किसानों के खेतों तक बेहतर ढंग से पहुंचाया जा सकता है. उन्होंने वृहत पौधरोपण कार्यक्रमों द्वारा प्रदेश को हरा-भरा रखने के लिए झारखंड सरकार के प्रयास की सराहना. साथ ही इस हरियाली को प्रदेश के ग्रामीण समुदाय के लिए आय का स्रोत बनाने की आवश्यकता जतायी.

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