कहा कि 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में यह प्रावधान है कि किसानों की जमीन जबरन अधिग्रहित नहीं की जा सकती है. सरकारी कार्य के लिए 70 प्रतिशत स्थानीय रैयतो की सहमति आवश्यक है और कॉरपोरेट घराने को जमीन देने के लिए 80 प्रतिशत रैयती की सहमति होनी चाहिए. सड़क, रेल आदि सरकारी परियोजनाओं के लिए यदि सरकार जमीन अधिग्रहित करती है, तो उस स्थित में किसानों की उतनी ही बंजर जमीन दी जानी चाहिए, लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार को कानून की महत्ता समझ में नहीं आती है.
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षड़यंत्र कर रही सरकार : बाबूलाल
दुमका. झाविमो अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर सभी कानूनों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसानों के पट्टे रद्द कर लैंड बैंक बनाने के नाम कॉरपोरेट घरानों को औने-पौने भाव में जमीन मुहैया कराने का षड़यंत्र कर रही है. सरकार के इस मंसूबों को कभी पूरा […]
दुमका. झाविमो अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर सभी कानूनों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसानों के पट्टे रद्द कर लैंड बैंक बनाने के नाम कॉरपोरेट घरानों को औने-पौने भाव में जमीन मुहैया कराने का षड़यंत्र कर रही है. सरकार के इस मंसूबों को कभी पूरा होने नहीं दिया जायेगा. उनकी पार्टी इसके खिलाफ सड़क पर उतरेगी और जन आंदोलन चलायेगी. श्री मरांडी शुक्रवार को दुमका परिसदन में पत्रकारों से बात कर रहे थे.
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