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रेडियोलॉजिस्ट 30, संचालित हो रहे 200 केंद्र

विडंबना. राजधानी रांची में अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, सीटी स्कैन व एमआरआइ के विशेषज्ञों की कमी रांची : राजधानी रांची में करीब 30 रेडियोलॉजिस्ट (अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, सीटी स्कैन व एमआरआइ जांच करने के विशेषज्ञ) हैं, लेकिन शहर में 200 से ज्यादा जांच केंद्र संचालित हो रहे हैं. इनमें से कई केंद्र ऐसे हैं, जहां रेडियोलॉजिस्ट नहीं बैठते […]

विडंबना. राजधानी रांची में अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, सीटी स्कैन व एमआरआइ के विशेषज्ञों की कमी
रांची : राजधानी रांची में करीब 30 रेडियोलॉजिस्ट (अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, सीटी स्कैन व एमआरआइ जांच करने के विशेषज्ञ) हैं, लेकिन शहर में 200 से ज्यादा जांच केंद्र संचालित हो रहे हैं. इनमें से कई केंद्र ऐसे हैं, जहां रेडियोलॉजिस्ट नहीं बैठते हैं, फिर भी वहां मरीजों की जांच कर रिपोर्ट दी जाती है. ऐसे सेंटरों पर जांच का जिम्मा टेक्निशियन पर होता है. इस कारण आये दिन जांच रिपोर्ट पर सवाल उठते रहते हैं.
विशेषज्ञ चिकित्सकों से रिपोर्ट तैयार नहीं कराते टेक्निशियन : टेक्निशियन को जांच केंद्र खोलने की छूट है, लेकिन उन्हें रेडियोलॉजिस्ट से जांच रिपोर्ट तैयार कर मरीजों को देनी है़ पर कई टेक्निशियन ऐसे हैं, जो रेडियोलॉजिस्ट से जांच रिपोर्ट तैयार कराये बिना मरीजों को सिर्फ जांच प्लेट दे देते हैं, जबकि मरीजों को प्लेट के साथ-साथ जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य है.
गहन जानकारी नहीं, फिर भी करतीं है जांच : महिला चिकित्सक जिनके पास गाइनी में पीजी या पीजी डिप्लोमा इन ऑब्सट्रेक्टिक एंड गाइनोकॉलोजी (डीजीओ) की डिग्री है, वह सिर्फ गर्भवती महिला की जांच कर सकती है. महिला चिकित्सकों को अल्ट्रासाउंड की सामान्य जानकारी ही रहती है. लेकिन, कई महिला चिकित्सक ऐसी हैं, जो सभी प्रकार की बीमारी की अल्ट्रासाउंड जांच करती हैैं. एक रेडियोलॉजिस्ट ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि महिला चिकित्सकों को इमेजिंग का ज्ञान कैसे हो सकता है, जबकि वे इसकी पढ़ाई ही नहीं की होती हैं.
छह साल में सिर्फ पांच लोगों ने कराया पंजीयन : राजधानी रांची में पीसीपीएनडीटी एक्ट का पालन सही तरीके से नहीं हो रहा है. कई चिकित्सक बिना पंजीयन कराये ही शहर में जांच केंद्र संचालित कर रहे हैं. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत पंजीकरण के लिए छह साल में सिर्फ पांच लोगों का नाम ही सरकार के पास दर्ज हो पाया है. रांची सिविल सर्जन कार्यालय में एक रेडियोलॉजिस्ट ने वर्ष 2010 में अपना पंजीयन कराया था. उसके बाद से आज तक सिर्फ पांच लोगों का ही पंजीयन हो पाया है. वर्तमान में उक्त एक्ट के तहत 194 लोग पंजीयन करा चुके हैं.
सेंटर खोल टेक्निशियन कर रहे हैं जांच, मरीजों काे बिना रिपोर्ट के थमा देते हैं जांच प्लेट
राज्य में रेडियोलॉजी की मात्र दो सीट : झारखंड में रेडियोलॉजी में पीजी की पढ़ाई सिर्फ रिम्स में ही होती है. इसके लिए सिर्फ दो सीट है. एक सीट सामान्य वर्ग व एक सीट एससी-एसटी के लिए आरक्षित है. वहीं डिप्लोमा में छह सीट है. इस कारण राज्य में रेडियोलॉजिस्ट की संख्या काफी कम है.
यह सही है कि शहर में विशेषज्ञ चिकित्सकों से अधिक जांच केंद्र खुल गये हैं. स्त्री रोग विशेषज्ञों को अल्ट्रासाउंड करने की छूट है, इसलिए उनको भी लाइसेंस है. लेकिन वह कितनी गहनता से जांच करती हैं, यह उन पर निर्भर है. वहीं टेक्निशियन को एक्सरे सेंटर खोलने का अधिकार है, लेकिन जांच रिपोर्ट के लिए उन्हें रेडियोलॉजिस्ट से संपर्क करना ही चाहिए.
डॉ चंद्रमोहन, अध्यक्ष, आइआरआइए

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