इस कांड में ही गुरुवार को न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए नौ आरोपियों को रिहा किया था. पुलिस नौ के विरुद्ध पहले आरोप पत्र समर्पित कर चुकी थी. बाद में बंकु यादव सहित 12 लोगों के द्वारा उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत लेने के बाद पुलिस ने 31 अगस्त 2009 को न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया था.
आरोप पत्र में 40 गवाहों का बयान पुलिस ने दर्ज किया, लेकिन ट्रायल के दौरान 11 गवाहों का ही परीक्षण हो पाया. अभियोजन पक्ष केस को साबित करने में सफल नहीं हो पाया. परीक्षण के दौरान किसी भी गवाह के द्वारा आरोपितों की पहचान नहीं की गयी. कोई आग्नेयास्त्र भी बरामद नहीं हुआ था और न ही पुलिस पर गोली चलने की बात गवाह द्वारा न्यायालय को बताया गया. एसआइ राकेश मोहन सिंह ने न्यायालय को बताया था कि 19 राउंड गोली भीड़ पर चली थी, जिनमें उनकी गोली से दो लोग मारे गये थे.
लुखीराम टुडू एवं सायगत मरांडी की इलाज के क्रम में मौत हो गयी थी. हवलदार सुरेश राम को सीने में तीर लगा था, जबकि इंस्पेक्टर राकेश मोहन सिन्हा को हाथ में. कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए, जबकि ग्रामीणों में सागा मरांडी, संग्राम हांसदा, भोला पाल, शिवलाल सोरेन एवं लुखीराम सोरेन भी घायल हो गये थे. अभियोजन पक्ष की ओर से एपीपी अवध बिहारी सिंह एवं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता सोमा गुप्ता ने केस की पैरवी की.