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कोयला कारोबारियों से वसूली के नहीं मिले साक्ष्य

रांची: चतरा के टंडवा व पिपरवार में कोयला कारोबारियों से पुलिस, नक्सली व उग्रवादियों के गंठजोड़ के माध्यम से करोड़ों की वसूली से संबंधित कोई साक्ष्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को नहीं मिले. जांच के दौरान न एसीबी को शिकायतकर्ता मिला और न ही कोई यह बताने वाला कि उग्रवादी, नक्सली व पुलिस आपस में […]

रांची: चतरा के टंडवा व पिपरवार में कोयला कारोबारियों से पुलिस, नक्सली व उग्रवादियों के गंठजोड़ के माध्यम से करोड़ों की वसूली से संबंधित कोई साक्ष्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को नहीं मिले. जांच के दौरान न एसीबी को शिकायतकर्ता मिला और न ही कोई यह बताने वाला कि उग्रवादी, नक्सली व पुलिस आपस में मिल कर कोयला कारोबारियों से रुपये की वसूली करते हैं. जांच के दौरान कुछ कनीय पुलिस अफसरों की संलिप्तता के बिंदु पर एसीबी ने जांच शुरू की थी.

इस आशंका पर कि उन्होंने उग्रवादियों-नक्सलियों से मिल कर अवैध वसूली की है. तब उन्होंने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की होगी. लेकिन इससे संबंधित भी कोई जानकारी एसीबी को नहीं मिली. इसी आधार पर एसीबी ने जांच बंद करने से संबंधित अनुशंसा सरकार के पास भेज दी है.


उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 के आरंभ में सरकार को एक गुमनाम पत्र मिला था. इसमें इस बात का उल्लेख था कि भाकपा माओवादी के नक्सली, उग्रवादी संगठन जेपीसी और टीपीसी के उग्रवादी कोयला कारोबारियों से रुपये की वसूली करते हैं. इसमें स्थानीय पुलिस का सहयोग होता है. गुमनाम पत्र के आदेश पर सरकार ने मामले की जांच एसीबी से कराने का निर्णय लिया था. सरकार के आदेश पर एसीबी थाना में प्रारंभिक जांच संख्या 06/15 के अंतर्गत अज्ञात लोगों के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू की गयी थी़ गुमनाम पत्र में एक दारोगा, एक इंस्पेक्टर और अन्य पुलिस कर्मियों का नाम था.
एसीबी ने इन तथ्यों को नहीं जांचा
13 मार्च 2015 : पुलिस ने टीपीसी के बिंदु गंझू को गिरफ्तार किया था. उसके खाते में करीब दो करोड़ रुपये थे. पुुलिस ने कई महंगी गाड़ियां भी जब्त की थीं. रुपये व वाहन कहां से आये, इसकी जांच नहीं की गयी.
30 नवंबर 2015 : चतरा के तत्कालीन एसपी की सूचना पर बिंदु गंझू को गिरफ्तार किया गया था. उसके वाहन से पुलिस ने 22 लाख रुपये जब्त किये थे. प्राथमिकी में पुलिस ने कहा था कि बिंदु गंझू उक्त राशि को आम्रपाली संचालन कमेटी से लेकर भाकपा माओवादी के मनोहर गंझू को देने जा रहा था. इसकी भी जांच नहीं की गयी.
11 जनवरी 2016 : चतरा पुलिस ने टीपीसी के चार उग्रवादियों के घर से 1.49 करोड़ रुपये बरामद किये. यह पैसा कहां से आया, इसकी भी जांच नहीं की गयी़
तो क्या गलत थी ये सारी रिपोर्ट?
27 जनवरी 2016 : चतरा के तत्कालीन एसपी ने डीजीपी को भेजी गयी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है कि माओवादी और टीपीसी को मोटी रकम मिलती है.
21 दिसंबर 2015 : तत्कालीन मुख्य सचिव ने गृह सचिव को पत्र लिख कर टंडवा में अवैध वसूली और इससे अमीर बने लोगों की संपत्ति की जांच के लिए एसआइटी गठित करने का निर्देश दिया था.
वर्ष 2015 : स्पेशल ब्रांच ने एक जांच रिपोर्ट में यह कहा गया है कि टंडवा में सीसीएल प्रबंधन, कोयला कारोबारी, पुलिस-प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है.

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