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सुरेश प्रभु कमेटी की अनुशंसा पर मांगी रिपोर्ट

रांची: कोल इंडिया के पुनर्गठन पर विचार करने के लिए गठित सुरेश प्रभु की कमेटी की अनुशंसा फिर चर्चा का विषय बन गयी है. कमेटी की कुछ अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने कोल इंडिया को एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) देने का निर्देश दिया है. इसी कमेटी ने सीएमपीडीआइ को कोल इंडिया से अलग करने की […]

रांची: कोल इंडिया के पुनर्गठन पर विचार करने के लिए गठित सुरेश प्रभु की कमेटी की अनुशंसा फिर चर्चा का विषय बन गयी है. कमेटी की कुछ अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने कोल इंडिया को एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) देने का निर्देश दिया है. इसी कमेटी ने सीएमपीडीआइ को कोल इंडिया से अलग करने की अनुशंसा भी की थी.

कमेटी ने कोयला मंत्रालय को इससे संबंधित कैबिनेट नोट बनाकर तीन माह के अंदर सरकार को देने को कहा था. करीब दो साल बीतने के बाद भी इससे संबंधित प्रस्ताव मंत्रालय ने नहीं भेजा है. कमेटी ने इसके अतिरिक्त अन्य कई अनुशंसाएं की थी. इन अनुशंसा की स्थिति के बारे में फिर से जानकारी मांगी गयी है. सलाहकार समिति में पूर्व ऊर्जा सचिव आरवी शाही, पूर्व सीवीसी प्रत्युष सिन्हा, पूर्व गृह सचिव अनिल बैजल, बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व चेयरमैन अनिल खंडेलवाल, पूर्व सीइओ क्रांप्टन ग्रीव्स केके नोहरिया, कोल इंडिया के पूर्व चेयरमैन पार्थ भट्टाचार्या इनाम के पूर्व सीइओ वल्लभ भंसाली शािमल थे.
एटीआर में सीएमपीडीअाइ का जिक्र नहीं : भारत सरकार ने कोल इंडिया से जो एटीआर मांगा है. उसमें सीएमपीडीअाइ का जिक्र नहीं है. समिति की अनुशंसा के बाद झारखंड आये कोयला सचिव अनिल स्वरूप ने आश्वस्त किया था कि सीएमपीडीआइ को कोल इंडिया से अलग नहीं होने दिया जायेगा.
क्या-क्या अनुशंसा की थी कमेटी ने
कमेटी ने कोल इंडिया को सभी कंपनियों को ज्यादा अधिकार देने की अनुशंसा की थी. इनको पूंजी के मामले में मजबूत करने का तथा निर्णय लेने की जिम्मेदारी देने की बात कही गयी थी. कोयला कंपनियों में कुछ को अलग-अलग कर कंपनी बनाने की अनुशंसा थी. सभी कंपिनयों को मिलकर एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाने की सलाह भी दी गयी थी. ज्वाइंट वेंचर की देखरेख में ही रेल लिंक का विस्तार करने को कहा गया था.

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