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मनरेगा की पूर्ण योजनाओं की रिकॉर्डिंग 28 जुलाई से
संजय रांची : मनरेगा के तहत तैयार डोभा व अन्य पूर्ण संपत्तियों की जियो-टैगिंग (रिकॉर्डिंग) का काम 28 जुलाई से शुरू होगा. गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2006-07 से अब तक राज्य में मनरेगा के तहत करीब 7.27 लाख योजनाएं पूर्ण की गयी हैं. पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह काम रांची जिले से शुरू हो […]
संजय
रांची : मनरेगा के तहत तैयार डोभा व अन्य पूर्ण संपत्तियों की जियो-टैगिंग (रिकॉर्डिंग) का काम 28 जुलाई से शुरू होगा. गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2006-07 से अब तक राज्य में मनरेगा के तहत करीब 7.27 लाख योजनाएं पूर्ण की गयी हैं. पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह काम रांची जिले से शुरू हो रहा है.
जियो-टैगिंग के लिए पहले पूर्ण योजनाअों की तसवीर ली जायेगी. ग्राम रोजगार सेवक या मनरेगा के तहत कार्यरत जूनियर इंजीनियर (जेइ) फोटो लेंगे. इसके बाद यह फोटो इंडियन स्पेस रिसर्च अॉर्गनाइजेशन (इसरो) द्वारा तैयार मोबाइल ऐप के जरिये इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के पोर्टल भुवन पर अपलोड कर दिया जायेगा. ऐप का सॉफ्टवेयर इस तसवीर को जगह (अक्षांस व देशांतर या लैटिट्यूड व लांगीट्यूड) व समय के साथ लोड कर लेगा. दरअसल भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा इसरो के बीच 25 जून को एक समझौता हुअा है. इसके तहत देश भर में मनरेगा के तहत बनी संपत्तियों (डोभा, कुआं, ग्रामीण पथ, चेक डैम व अन्य) की जियो-टैगिंग की जानी है. पहले चरण में देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित राज्यों के एक-एक जिले में यह काम शुरू होना है. झारखंड में यह काम रांची से शुरू हो रहा है.
क्या होगा लाभ
जियो-टैगिंग हो जाने के बाद सरकार किसी खास अक्षांस व देशांतर को वेबसाइट पर फीड कर उस इलाके में मनरेगा की सभी पूर्ण योजनाअों की तसवीर देख सकती है. यानी यह सिस्टम मनरेगा के कार्यक्रमों को अौर पारदर्शी बनायेगा. वहीं इससे पहले हो चुकी गड़बड़ियों का खुलासा होना भी तय है. इसके अलावा डुप्लेकेसी का भी पता चलेगा. जैसे जल संरक्षण की योजना विभिन्न विभागों की अोर से संचालित है. इनमें ग्रामीण विकास (मनरेगा) के अलावा कृषि, कल्याण व वन विभाग शामिल हैं. जियो-टैगिंग से एक विभाग दूसरे की योजना को अपना नहीं बता सकेंगे. गौरतलब है कि मनरेगा के तहत करीब एक लाख तथा भूमि निदेशालय के तहत करीब 74 हजार डोभा बनाये गये हैं. राज्य का कृषि विभाग भी भूमि संरक्षण निदेशालय के तहत बने डोभों की जियो-टैगिंग करा रहा है. इसका एेप झारखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (जेसैक) ने तैयार किया है.
जियो-टैगिंग तसवीर, वीडियो या एसएमएस के जरिये किसी चीज या स्थान को भौगोलिक पहचान (जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन) देने की प्रक्रिया है. इसमें सॉफ्टवेयर एप्लिकेशंस की सहायता से किसी खास अक्षांस व देशांतर इलाके या क्षेत्र से जुड़ी सूचनाएं व तसवीरें देखी जा सकती हैं. इमेज सर्च इंजन यह काम करता है.
मनरेगा के करीब 7.27 लाख योजनाएं पूर्ण
वित्तीय वर्ष संख्या
2006-07 30519
2007-08 51643
2008-09 64614
2009-10 75767
2010-11 52958
2011-12 50290
2012-13 92641
2013-14 63458
2014-15 59465
2015-16 71180
2016-17 करीब 115000 (एक लाख डोभा सहित 30 जून तक)
कुल 727485
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