रांची: आपराधिक मामलों में अनुसंधान पदाधिकारी (आइओ) की ओर से गवाही नहीं देने से संबंधित मामले में हाइकोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है. जस्टिस डीएन पटेल की अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि गवाही नहीं देने वाले आइओ का वेतन बंद कराया जाये. ट्रायल कोर्ट के जज खंडपीठ के इस आदेश का सख्ती से पालन करें. अगर ट्रायल कोर्ट के जज इस आदेश का पालन नहीं करा पाते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जायेगी.
कोर्ट ने इस मामले में गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि गवाही नहीं दर्ज करानेवाले दोषी आइओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जाये. हिदायत अंसारी की ओर से दायर नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया है. हाइकोर्ट में इस मामले की सुनवाई 24 जनवरी को होनी है. सुनवाई के दौरान सरकार को यह बताना है कि सेशन ट्रायल नंबर 191/2009 में आइओ ने गवाही दर्ज करायी है अथवा नहीं? हाइकोर्ट के महानिबंधक की ओर से आदेश की प्रति सभी जिलों के प्रधान न्यायुक्त, प्रधान जिला न्यायाधीश, गृह सचिव, डीजीपी और गढ़वा के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश को भेज दी है.
गवाही नहीं देने की वजह से समय पर पूरा नहीं हुआ ट्रायल सेशन ट्रायल नंबर 191/2009 में सूचनाकर्ता और आइओ की गवाही नहीं होने पर कोर्ट ने नाराजगी जतायी है. अपने आदेश में कहा है कि इस मामले में हाइकोर्ट ने पूर्व में जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश-1 गढ़वा को सेशन ट्रायल नंबर 191/2009 को तेजी से निष्पादित करने का निर्देश दिया था. जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश गढ़वा ने हाइकोर्ट के पत्र लिख कर सूचना दी है कि सूचनाकर्ता और आइओ गवाह के रूप में उपस्थित नहीं हो रहे हैं.
सूचनाकर्ता के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है. वहीं आइओ की गवाही के लिए डीजीपी और एसपी को पत्र भेजा गया है. इसके बावजूद न तो सूचनाकर्ता आये और न ही आइओ. ऐसे में समय पर ट्रायल पुरा नहीं हो पाया. इससे पहले हाइकोर्ट छह बार आरोपी हिदायत अंसारी की जमानत याचिका को खारिज कर चुका है. पिछली बार कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज करते हुए इस मामले के ट्रायल में तेजी लाने का निर्देश दिया था.