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लौट रही है एचइसी आवासीय परिसर की रौनक
स्वतंत्र भारत की औद्योगिक नीति को धरातल पर उतारने के लिए वर्ष 1958 में एचइसी की स्थापना की गयी थी. झारखंड की राजधानी रांची में लगभग आठ हजार एकड़ के विशाल औद्योगिक परिसर में अवस्थित इस कंपनी ने देश के महत्वपूर्ण कल कारखाने को खड़ा करने में (उनके लिए उपकरण बना कर) महत्वपूर्ण भूमिका निभायी […]
स्वतंत्र भारत की औद्योगिक नीति को धरातल पर उतारने के लिए वर्ष 1958 में एचइसी की स्थापना की गयी थी. झारखंड की राजधानी रांची में लगभग आठ हजार एकड़ के विशाल औद्योगिक परिसर में अवस्थित इस कंपनी ने देश के महत्वपूर्ण कल कारखाने को खड़ा करने में (उनके लिए उपकरण बना कर) महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है़ स्थापना के समय यहां लोग दूर-दूर से घूमने आते थे, लेकिन धीरे-धीरे एचइसी की स्थिति खराब होने पर आवासीय परिसर की रौनक भी कम होती गयी. टूटी-फूटी सड़कें, खराब स्ट्रीट लाइटें आदि इसकी पहचान बन गयी थी.अब एचइसी प्रबंधन की सोच व राज्य सरकार के सहयोग से एचइसी आवासीय परिसर में एक बार भी रौनक लौटने लगी है. वर्षों से टूटी-फूटी सड़कों का निर्माण किया गया है. सड़कों पर स्ट्रीट लाइट लगायी गयी है. वहीं आवासीय परिसर में कई महत्वपूर्ण बिल्डिंग का निर्माण राज्य सरकार करा रही है.
रांची : एचइसी आवासीय परिसर में 35 एकड़ में क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण वर्ष 2012 में किया गया था. स्टेडियम बनने से एचइसी की पहचान देश-विदेश में हुई. सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला. इस स्टेडियम में 40 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है. 19 जनवरी 2013 में यहां पहला वनडे मैच भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया था. स्टेडियम में एक टेनिस कोर्ट व एक स्विमिंग पूल भी है.
165 एकड़ में बन रहा है झारखंड उच्च न्यायालय : एचइसी आवासीय परिसर के तिलिर मौजा में अवस्थित 165 एकड़ जमीन पर झारखंड हाइकोर्ट का निर्माण कार्य चल रहा है. कोर्ट बिल्डिंग, अधिवक्ताओं के बैठने के लिए लॉयर्स चेंबर, एडवोकेट हॉल एवं आवासीय बिल्डिंग का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. यह देश के सभी हाइकोर्ट बिल्डिंग में से सबसे उत्कृष्ट और खूबसूरत होगा. निर्माण कार्य का जायजा भारत के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर भी ले चुके हैं. उन्होंने डिजाइन में कुछ आवश्यक संशोधन करने का सुझाव भी दिया था. मालूम हो कि हाइकोर्ट में जनहित याचिका की सुनवाई में पारित आदेश के आलोक में राज्य सरकार ने हाइकोर्ट को धुर्वा में 165 एकड़ जमीन हस्तांतरित की थी.
इन भवनों का हो रहा निर्माण : इसमें नया विधानसभा भवन, सचिवालय बिल्डिंग व झारखंड उच्च न्यायालय का कार्य प्रगति पर है. वहीं स्मार्ट सिटी, आइआइएम, पासपोर्ट ऑफिस, ट्रिपल आइटी, कैट बिल्डिंग सहित आधा दर्जन से अधिक संस्था का निर्माण आवासीय परिसर में किया जाना है.
झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी का निर्माण : हटिया डैम के पास लगभग 9.5 एकड़ में झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी के अत्याधुनिक भवन का निर्माण किया गया है. इसका उदघाटन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने किया था. यहां पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर 500 सीट वाला विशाल ऑडिटोरियम बनाया गया है. स्वर्ण रेखा व दामोदर नामक दो हाॅस्टल महिला व पुरुष के लिए बनाये गये हैं. इसके अलावा अतिथियों व व्याख्याताओं के रहने के लिए आवास भी बनाये गये हैं. अत्याधुनिक प्रशासनिक बिल्डिंग में सभी प्रकार की जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं. एकेडमी परिसर में अत्याधुनिक जिम व विभिन्न खेलों के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसके निर्माण पर 60 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए हैं. फिलवक्त यहां न्यायिक अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है.
सड़कें हुईं चकाचाक, स्ट्रीट लाइट लगायी गयी : एचइसी प्रबंधन द्वारा राज्य सरकार को लीज पर आवास और जमीन देने के बाद आवासीय परिसर की सड़कें चकाचक हो गयीं. एचइसी चेकपोस्ट से लेकर सचिवालय तक, सेक्टर दो बाजार से लेकर जगन्नाथपुर मंदिर रोड, सेक्टर दो, सेक्टर तीन, जेएससीए रोड, धुर्वा बस स्टैंड से लेकर डैम साइड तक की सभी सड़क को बनाया गया है. वहीं सड़कों के किनारे और बीच में नयी स्ट्रीट लाइट लगने से सड़कों पर चहल-पहल बढ़ गयी है. सड़कों की दोनों ओर स्ट्रीट लाइट लगायी गयी है.
एचइसी का इतिहास
एचइसी एशिया का अकेला भारी इंजीनियरिंग उपक्रम है, जहां विशाल और जटिल औद्योगिक उपकरणों के निर्माण के लिए जरूरी सभी सुविधाएं (मसलन मेल्टिंग, कास्टिंग, फोरजिंग और फैब्रिकेशन) एक ही परिसर में उपलब्ध हैं. दूसरी ओर एचइसी देश का ऐसा पहला विशाल सार्वजनिक उपक्रम भी है, जो लगभग चार दशकों तक रुग्ण (बीमार) कंपनियों की सूची में रहा. इसके बाद भी इसके कर्मचारियों-अधिकारियों ने हिम्मत नहीं हारी. इसी का नतीजा है कि आज यह रुग्ण उद्योगों की श्रेणी से बाहर आ चुका है. 10 वर्ष पूर्व एक ऐसा समय भी आया था, जब इसे मृतप्राय घोषित कर दिया गया. उन दिनों एचइसी के हजारों कर्मचारी और अधिकारी निराश हो गये थे. गौरतलब है कि सार्वजनिक क्षेत्र के रुग्ण उपक्रमों की समीक्षा करने वाली केंद्रीय संस्था बोर्ड फॉर इंडस्ट्रियल एंड फाइनेंसियल रिकंस्ट्रक्शन (बीआइएफआर) ने सन 2004 में एचइसी को बंद करने की सिफारिश की थी. कंपनी पर हजारों करोड़ रुपये की देनदारियों का बोझ था और इसे काम भी कम मिल रहा था. यह मामला झारखंड उच्च न्यायालय में पहुंचा. न्यायालय के हस्तक्षेप के कारण इसे तत्काल बड़ी राहत मिली और कंपनी में ताला लगते-लगते बचा. इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार ने भी एचइसी को बचाने में दिलचस्पी दिखायी. कंपनी के तत्कालीन सीएमडी एस विश्वास ने उपक्रम को बचाने के लिए काफी मेहनत की. इन सब के कारण सामरिक और वैज्ञानिक परियोजनाओं समेत खनन, परिवहन और बिजली जैसी उच्च औद्योगिक इकाइयों के लिए महत्वपूर्ण और जटिल उपकरण बनाने वाला देश का यह अनूठा उपक्रम बंद होने से बच गया. हाल के कुछ वर्षों में एइचसी ने अपने कार्य क्षेत्र का विस्तार किया है. स्थापना के शुरुआती वर्षों में महज इस्पात और भारी औद्योगिक इकाइयों के लिए कल-पुर्जा बनाने तक सीमित रहने वाली यह कंपनी अब ऊर्जा, खनन, परिवहन के अलावा भारी इंजन निर्माण के क्षेत्र में भी सक्रिय हो गयी है. व्यावसायिक फैलाव के लिए इसने कई देसी-विदेशी कंपनियों के साथ समझौता किया है. इस कंपनी ने इसरो के दर्जन भर से ज्यादा उपग्रहों के लिए लांचिंग पैड बनाये हैं. नौसेना और थल सेना के लिए जलयान, टैंक और तोपों के लिए एचइसी अब तक कई विशेष उपकरण बना चुका है. इस कंपनी ने 500 से 1000 मेगावाट वाले नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों के रिएक्टर के उपकरणों का भी निर्माण किया है.
परिसर में बनेगी स्मार्ट सिटी : स्मार्ट सिटी बनाने के लिए राज्य सरकार ने एचइसी से 341 एकड़ जमीन ली है. उक्त जमीन प्रोजेक्ट भवन के पीछे है. यहांं कॉमर्शियल जोन में शॉपिंग मॉल,एजुकेश जोन के तहत प्ले स्कूल, हाइस्कूल, कॉलेज व हेल्थ जोन में अस्पताल बनेंगे. इसके अलावा यहां 24 घंटे पानी, बिजली, चौड़ी सड़कें, सिवरेज-ड्रेनेज, ओपन स्पेस, पार्क व स्वीमिंग पूल की सुविधा रहेगी. यह जोन पूरी तरह वाइफाइ युक्त होगा़ आइटी की मदद से नागरिक सुविधाएं मिलेंगी. धुआं उगलनेवाले वाहनों का प्रवेश यहां नहीं होगा.
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