एकाउंट नंबर में गलती या किसी अन्य तकनीकी कारणों से विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिलने में परेशानी होती है. वहीं छात्रवृत्ति के लिए छात्रों को परेशान भी किया जाता है. स्कॉलरशिप सेल छात्रवृत्ति भुगतान के लिए पूरी तरह समर्पित रहेगा. इधर, फरजी या अस्तरीय संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को इस योजना के दायरे से बाहर करने के लिए भी पहल हो रही है. कल्याण विभाग ने कुछ प्रमुख राज्यों को चिट्ठी लिख कर उनसे वहां मान्यता प्राप्त संस्थानों की सूची मांगी है.
छात्रवृत्ति पाने की योग्यता रखनेवाले विद्यार्थियों की संख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण विभाग पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा था. इसी के मद्देनजर अब छात्रवृत्ति के रूप में वित्तीय सहायता की अधिकतम सीमा तय कर दी गयी है. नयी व्यवस्था में ऐसे संस्थान में पढ़ रहे विद्यार्थियों को पूरी फीस मिल जायेगी, जहां ट्यूशन फीस 50 हजार रुपये से कम है. वहीं 50 हजार से अधिक शुल्क वाले संस्थानों के विद्यार्थियों को अतिरिक्त फीस का इंतजाम खुद करना होगा.