वे जुलूस के दौरान बीमार पड़ गये और बाद में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गयी. थाना प्रभारी पहले से बीमार चल रहे थे. उनकी मृत्यु से जुलूस में शामिल लोगों का कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं था. इसके बावजूद स्थानीय पुलिस प्रशासन ने स्थानीय विधायक पर गैर इरादतन हत्या कर मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया है. उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं हजारों कार्यकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया है.
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मांग: विपक्ष ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन, कहा जन प्रतिनिधियों पर दर्ज झूठे मुकदमे वापस हो
रांची: विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा राज्यपाल को सौंपे गये ज्ञापन में आराेप लगाया गया है कि राज्य सरकार जन प्रतिनिधियों को अभिव्यक्ति के अधिकार से वंचित करने का प्रयास कर रही है. सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने वालों के खिलाफ सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है. आवाज उठाने वाले को जेल में […]
रांची: विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा राज्यपाल को सौंपे गये ज्ञापन में आराेप लगाया गया है कि राज्य सरकार जन प्रतिनिधियों को अभिव्यक्ति के अधिकार से वंचित करने का प्रयास कर रही है. सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने वालों के खिलाफ सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है.
आवाज उठाने वाले को जेल में डाला : हेमंत
नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि जनप्रतिनिधि को जनता की आवाज उठाने के कारण गैर इरादतन हत्या के जुर्म में बंद कर दिया गया है. यह झारखंड के राजनैतिक इतिहास की पहली घटना है. पार्टी के निर्णय के अनुसार स्थानीय नीति के विरोध में 14 मई को झारखंड बंद का आह्वान किया गया था. इसकी पूर्व संध्या पर स्थानीय विधायक जगन्नाथ महतो के नेतृत्व में मशाल जुलूस निकाला गया था. इस दौरान स्थानीय थाना प्रभारी विधि व्यवस्था का कार्य संपादित कर रहे थे.
फैसलों से जनता आंदोलित : सुखदेव
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत ने कहा कि बड़कागांव के पूर्व विधायक एवं राज्य के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को एनटीपीसी के गलत कार्यों का विरोध करने के आरोप में उन्हें जिलाबदर कर दिया गया है. राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर सत्ता और प्रशासनिक तंत्रों का दुरुपयोग करते हुए बड़कागांव की विधायक निर्मला देवी और पांकी विधायक देवेंद्र सिंह के खिलाफ पुराने मामले की आड़ में भयादोहन करने की कोशिश की जा रही है. नेताओं ने कहा कि सरकार की जन विरोधी नीति और फैसलों से राज्य की जनता आंदोलित है. झाविमो के आर्थिक नाकेबंदी को दबाने के लिए भी सरकार की ओर से दमनकारी रुख अपना जा रहा है. विपक्षी दलों ने राज्यपाल से हस्तक्षेप कर लोकतांत्रिक मर्यादाओं और अधिकार को बहाल रखने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया है.
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