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विधायक चमरा सहित नौ बरी
रांची. डोमेसाइल आंदोलन में बंद के दौरान आगजनी अौर तोड़फोड़ के मामले में विधायक चमरा लिंडा सहित नौ आरोपियों को एजेसी एसएस प्रसाद की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अभियोजन गवाहों को लाने में विफल रहा है. गवाहों को कई बार बुलाया गया, […]
रांची. डोमेसाइल आंदोलन में बंद के दौरान आगजनी अौर तोड़फोड़ के मामले में विधायक चमरा लिंडा सहित नौ आरोपियों को एजेसी एसएस प्रसाद की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अभियोजन गवाहों को लाने में विफल रहा है. गवाहों को कई बार बुलाया गया, पर ज्यादातर गवाह उपस्थित नहीं हुए. जो गवाह आये भी, वे मामले को साबित नहीं कर सके.
आगजनी अौर तोड़फोड़ मामले में थे आरोपी : मामला धुर्वा थाना कांड संख्या 143/02 दिनांक 24/07/2002 से संबंधित है.
24 जुलाई 2002 को डोमेसाइल नीति के समर्थन में आदिवासी छात्र संघ, आदिवासी जनाधिकार मंच और अन्य आदिवासी संगठनों ने झारखंड बंद का आह्रान किया था. उस दिन सीठियो की अोर से लगभग पांच हजार लोगों की भीड़ शहर की अोर बढ़ रही थी. दूसरी अोर से बंद के विरोध में भी भीड़ एकत्र हो रही थी. धुर्वा के आदर्शनगर तिरिल मैदान इलाके में तोड़फोड़ अौर आगजनी की घटना घटी थी. मामले में दो बार चार्जशीट (वर्ष 2004) अौर (वर्ष 2010) दायर की गयी थी. वर्ष आठ अक्तूबर 2014 को आरोप गठन किया गया था.
29 में तीन की ही गवाही हो सकी : मामले में पुलिसकर्मियों, लोकसेवकों व अन्य लोगों को गवाह (कुल 29) बनाया गया था. पर इनमें सिर्फ तीन गवाही ही दर्ज हो सकी. तीनों गवाह विश्वंभर चंद्र किशोर, रामनरेश व शिवलखन प्रसाद भी घटना को साबित नहीं कर सके. इसकी वजह से आरोपी बरी हो गये.
इन्हें किया गया बरी : चमरा लिंडा के अलावा शंकर तिर्की, अमित कुमार उर्फ राजेश कुमार सिंह, केशव तिर्की, प्रमोद कुमार उर्फ धोबी, राजा उर्फ राजकुमार ठाकुर, कमोद कुमार, बुद्धिसागर तिर्की अौर रंजन यादव.
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