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जेएसएमडीसी की 10 खदानें बंद पांच हजार लोग हुए बेरोजगार

रांची : जेएसएमडीसी के 11 खदान (माइंस) में 10 बंद हैं. इनमें नौ खदान दो वर्ष पूर्व तक चालू हालत में थे. अभी जेएसएमडीसी का केवल सिकनी कोलियरी माइंस चालू है. शेष से उत्पादन बंद है. इस कारण विभिन्न माइंस में काम करने वाले पांच हजार से अधिक मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. जेएसएमडीसी का […]

रांची : जेएसएमडीसी के 11 खदान (माइंस) में 10 बंद हैं. इनमें नौ खदान दो वर्ष पूर्व तक चालू हालत में थे. अभी जेएसएमडीसी का केवल सिकनी कोलियरी माइंस चालू है. शेष से उत्पादन बंद है. इस कारण विभिन्न माइंस में काम करने वाले पांच हजार से अधिक मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. जेएसएमडीसी का ही रांची के तुपुदाना स्थित ग्रेनाइट कटिंग एंड पॉलिशिंग प्लांट फिलहाल चालू हालत में है. यहां ग्रेनाइट कटिंग का काम किया जाता है.
क्या है वजह : बताया गया कि बेंती बगदा माइंस का फॉरेस्ट व इनवायरमेंटल क्लीयरेंस का मामला लंबित है. जिसके चलते यह बंद है. शेष अन्य खदान भी राज्य में स्टेट इनवायरमेंटल इंपैक्ट असेसमेंट कमेटी के पूरी तरह न बनने की वजह से बंद है. इन छोटे खदानों का राज्य के स्तर से ही पर्यावरण स्वीकृति ली जानी है. दूसरी ओर माइंस संचालन के लिए भी निगम के पास एक्सपर्ट कमेटी नहीं है. पर्यावरण स्वीकृति(इसी) न होने की वजह से ही खदान बंद हैं. जब तक निगम को इसी व प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से कंसेंट टू अॉपरेट(सीटीओ) नहीं मिलता तब तक उत्पादन आरंभ नहीं किया जा सकता.
खदानों को संचालित करने के लिए ट्रांजेक्शन एडवाइजर नियुक्त : बंद पड़े खदानों के संचालन के लिए निगम की ओर से ट्रांजेक्शन एडवाइजर को नियुक्त किया गया है. मल्टी नेशनल कंपनी प्राइस वाटर हाउस कूपर लिमिटेड को ट्रांजेक्शन एडवाइजर नियुक्त किया गया है. यह कंपनी बंद पड़े खदानों का संचालन कैसे हो इस पर निगम को सलाह देगी. साथ ही माइनिंग डेवलपर एंड अॉपरेटर(एमडीओ) को नियुक्त करने की प्रक्रिया को ट्रांजेक्शन एडवाइजर द्वारा ही पूरी की जायेगी. इसके बाद एमडीओ ही इसी और सीटीओ लेने का काम करेंगे. फिर माइंस कैसे संचालित होगा, इसकी जवाबदेही एमडीओ की ही होगी.
सिकनी को नहीं मिल रहा है खरीदार : सिकनी कोलियरी भले ही चालू हालत में है. पर यहां से कोयला के खरीदार नहीं मिल रहे हैं. कोल लिंकेज की सुविधा भी यहां से दी गयी है, पर इसके लिए भी कोई नहीं अा रहा है. बताया गया कि सीसीएल से अधिक दर होने की वजह से कोयला का खरीदार नहीं मिल रहा है. सिकनी की क्षमता 80 हजार टन प्रतिमाह की है. जबकि अभी केवल 25 हजार टन कोयले का ही उत्खनन हो पाता है. यह कोयला इनलैंड पावर को भेजा जाता है. बताया गया कि सिकनी की बोर्ड मीटिंग में यह तय किया गया है कि कोल इंडिया के नोटिफाइ प्राइस के अनुरूप ही सिकनी के कोयले की दर भी रखी जायेगी. ताकि ज्यादा से ज्यादा लिंकेज देकर कोयले का उत्खनन किया जा सके.
दो आवंटित ब्लॉक से भी नहीं हो सका है उत्पादन
जेएसएमडीसी को दो कोल ब्लॉक मिले हैं. गोवा कोल ब्लॉक का आवंटन बीएसएमडीसी के साथ हुआ है. इस कोल ब्लॉक की फाइल भी अभी केंद्र से लेकर राज्य सरकार के बीच प्रक्रियाओं में फंसी है. दूसरे कोल ब्लॉक जगलदगा को हाल ही में पर्यावरण स्वीकृति मिली है. अब लीज की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. इसके बाद एमडीओ नियुक्त कर उत्खनन किया जायेगा.

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