झारखंड ने इसका खर्च 16 लाख बताया था. वहीं, एएलएल एंबुलेंस अन्य राज्यों ने 8-10 लाख में फैब्रिकेट कराया है. झारखंड ने इसके लिए केंद्र से 24 लाख रुपये की सहमति मांगी थी. इस लागत पर केंद्र की सहमति न मिलने से पहले निकला टेंडर रद्द करना पड़ा है. अब फ्रेश टेंडर निकालने की तैयारी चल रही है. विभागीय सूत्रों के अनुसार, इन एंबुलेंस का इस्तेमाल सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को एक घंटे के गोल्डेन आवर में ट्रॉमा सेंटर या अस्पताल पहुंचाने सहित जननी सुरक्षा व अन्य आपात स्थितियों में किया जाना है.
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उपकरण सहित एंबुलेंस खरीद का मामला, चार लाख के काम की दर झारखंड में 16 लाख
रांची : झारखंड में 108 नाम से एंबुलेंस सेवा शुरू होनी है. एंबुलेंस की खरीद कर इसमें जीवन रक्षक उपकरण लगाये जाने हैं. उपकरण लगाने के इस फैब्रिकेशन वर्क की लागत झारखंड ने इतनी तय कर दी कि केंद्र सरकार ने इस दर को मानने से ही इनकार कर दिया है. दो तरह के एंबुलेंस […]
रांची : झारखंड में 108 नाम से एंबुलेंस सेवा शुरू होनी है. एंबुलेंस की खरीद कर इसमें जीवन रक्षक उपकरण लगाये जाने हैं. उपकरण लगाने के इस फैब्रिकेशन वर्क की लागत झारखंड ने इतनी तय कर दी कि केंद्र सरकार ने इस दर को मानने से ही इनकार कर दिया है. दो तरह के एंबुलेंस की खरीद होनी है. एक बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) व दूसरा थोड़ा उन्नत एंबुलेंस एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस). दूसरे राज्यों ने बीएलएस चार से पांच लाख की लागत पर बनवायी है.
लागत दूसरे राज्यों से बहुत अधिक : भारत सरकार ने एनआरएचएम, झारखंड को लिखे पत्र में कहा है : आपके एएलएस व बीएलएस की लागत क्रमश: 24.09 लाख व 16.02 लाख है. यह दूसरे राज्यों से बहुत अधिक है. दूसर राज्यों ने बीएलएस के फैब्रिकेशन के लिए चार से पांच लाख व एएलएस के लिए आठ से 10 लाख की दर भेजी है. अन्य राज्यों ने बीएलएस की लागत 3.3 लाख (हिमाचल प्रदेश), 3.9 लाख (केरल), 4.17 लाख (राजस्थान) तथा चार लाख (पंजाब) बतायी थी. हालांकि यह दर एक-दो साल पुरानी है. इसलिए इसमें इसी अनुसार थोड़ी वृद्धि हो सकती है, पर झारखंड की दर बहुत अधिक है. केंद्र ने फैब्रिकेशन वर्क का रीटेंडर करने को कहा है. इससे पहले भी सिंगल पार्टी टेंडर होने से फैब्रिकेशन का टेंडर रद्द करना पड़ा था.
कुल 329 एंबुलेंस संचालित होने हैं : राज्य भर में 108 के नाम से कुल 329 एंबुलेंस संचालित होने हैं. इनमें से 289 टाटा कंपनी के तथा शेष 40 फोर्स कंपनी के होंगे. सभी एंबुलेंस की खरीद पर करीब 37 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. इनका फैब्रिकेशन वर्क भी किया जाना है. विभाग ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के अंत तक कम से कम 50 एंबुलेंस संचालित करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जो फेल हो गया है. अभी भी इसमें लंबा वक्त लगने की संभावना है.
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