रांची: झारखंड को राष्ट्रीय ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के तहत केंद्र से तीसरी किस्त मिलेगी. झारखंड ने 321 करोड़ के चालू वित्तीय वर्ष के बजटीय प्रावधान में से 60 प्रतिशत से अधिक राशि खर्च कर दी है. सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं. जिसका नतीजा है कि झारखंड को लगातार दूसरे वर्ष केंद्र से अतिरिक्त सहायता मिलेगी. 2012-13 में झारखंड की ओर से एनआरडीडब्ल्यूपी में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए 75 करोड़ रुपये दिये गये थे.
वर्ष 2013-14 के लिए पेयजल और स्वच्छता विभाग की ओर से 165 करोड़ की मांग की गयी है. झारखंड से अधिक खर्च करनेवाले राज्यों में सिक्किम, नगालैंड, पंजाब और तमिलनाडु हैं. झारखंड के पड़ोसी राज्यों बिहार, उत्तरप्रदेश, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ में इस वित्तीय वर्ष में ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम के तहत 50 फीसदी से कम राशि ही खर्च की गयी है. इस संबंध में नये विकास आयुक्त सुधीर प्रसाद ने इसे राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार अब सरफेस पाइप वाटर सप्लाइ स्कीम के जरिये अधिक से अधिक ग्रामीण इलाकों में शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध कराने की ओर अग्रसर है.
राज्य के ग्रामीण इलाकों में 93 प्रतिशत आबादी को टय़ूबवेल से पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. मात्र सात प्रतिशत आबादी को ही पाइप वाटर सप्लाइ योजना से जोड़ा जा सका है. सरकार विश्व बैंक संपोषित जलापूर्ति योजना और एनआरडीडब्ल्यूपी स्कीम के जरिये 2018-19 तक अधिकतर गांवों में पाइप वाटर सप्लाइ स्कीम योजना का लाभ देगी.