नामकुम: वर्तमान समय में पानी का संरक्षण सबसे महत्वपूर्ण होता जा रहा है. हम भले ही विकास की लंबी लकीर खींचने में व्यस्त रहें, पर हमारी बुनियादी जरूरतें जस की तस बनी हुई हैं. वर्षा जल का संचय कितना महत्वपूर्ण है, यह हम सभी महसूस कर रहे हैं. हमारे जलस्रोत सूखते जा रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में जलछाजन को अपनाना ही एक मात्र उपाय है.
यह बातें पद्मश्री सिमोन उरांव ने सोमवार को नामकुम स्थित केजरीवाल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड डेवलपमेंट स्टडीज (किम्ड्स) में आयोजित मुखियाओं की कार्यशाला में कही.
इस कार्यशाला के उदघाटन सत्र में श्री उरांव ने मुखियाओं से कहा कि उन्हें जागरूक होना बहुत ही आवश्यक है. गांवों के विकास में उनकी बहुत ही बड़ी भूमिका है. श्री उरांव ने मुखियाओं को जल संरक्षण के कार्य में वे हरसंभव मार्गदर्शन देने का भी भरोसा दिया. कहा कि किसानों को न सिर्फ वर्षा, बल्कि सूखी खेती यानि कृषि के साथ-साथ मुर्गी पालन, गोपालन, बकरी पालन आदि वैकल्पिक व्यवसाय को भी अपनाना होगा. वहीं संस्थान के चेयरमैन पवन केजरीवाल ने कहा कि जमीन से जुड़े श्री उरांव को पद्मश्री पुरस्कार मिलना झारखंड की पावन धरती का सम्मान है. इससे पूर्व चेयरमैन ने श्री उरांव को सम्मानित किया. मौके पर ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट विभाग के निदेशक दिवाकर पांडेय, सलाहकार बीके झा, ऋचा चौधरी, केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान से आये प्रतिनिधि व मुखिया गण उपस्थित थे. ज्ञात हो कि किम्डस में पंचायती राज विभाग के तत्वावधान में अगले 18 जून तक उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल अंतर्गत सात जिलों के 1508 मुखियाओं को तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जायेगा.