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आयोग को नहीं मिल रहा है सहयोग
विधानसभा नियुक्ति-प्रोन्नति की जांच में रोड़ा, नहीं मिल रही सेवा पुस्तिका विधानसभा एजी से सर्विस बुक मांगने में नहीं दिखा रही रुचि अवर सचिव और उसके ऊपर के स्तर के अधिकारियोें की सेवा पुस्तिका की होनी है जांच छह महीने में प्रोन्नत हुए हैं अधिकारी, शैक्षणिक और आयु सीमा की अर्हता का पालन नहीं आनंद […]
विधानसभा नियुक्ति-प्रोन्नति की जांच में रोड़ा, नहीं मिल रही सेवा पुस्तिका
विधानसभा एजी से सर्विस बुक मांगने में नहीं दिखा रही रुचि
अवर सचिव और उसके ऊपर के स्तर के अधिकारियोें की सेवा पुस्तिका की होनी है जांच
छह महीने में प्रोन्नत हुए हैं अधिकारी, शैक्षणिक और आयु सीमा की अर्हता का पालन नहीं
आनंद मोहन
रांची : विधानसभा में अवैध नियुक्ति और प्रोन्नति की जांच कर रहे आयोग को सहयोग नहीं मिल रहा है़ सेवानिवृत्त न्यायाधीश विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता में बनी आयोग को जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं मिल रहे है़ं दो महीने से आयोग को अवर सचिव और उसके ऊपर के स्तर के अधिकारियों की सेवा पुस्तिका (सर्विस बुक) नहीं मिल पा रही है़ इन अधिकारियों का वेतन परची महालेखाकार द्वारा भेजा जाता है़ आयोग ने ऐसे अधिकारियों की जिनका वेतन एजी के माध्यम से आता है, उनकी सेवा पुस्तिका उपलब्ध कराने को कहा था़
आयोग ने इसके लिए एजी से भी पत्राचार किया़ एजी का कहना है कि विधानसभा इन सेवा पुस्तिकाओं की मांग करेगा, तो उसे उपलब्ध करा दिया जायेगा़ इसके बाद आयोग ने विधानसभा को भी पत्र लिखा, लेकिन आयोग को सेवा पुस्तिका उपलब्ध कराने की दिशा में पहल नहीं की गयी़ उल्लेखनीय है कि आयोग सेवा पुस्तिका की जांच कर प्रोन्नति के मामले की छानबीन करना चाहता है़
अवर सचिव और उसके ऊपर के स्तर के लगभग 50 अधिकारियों की नियुक्ति-प्रोन्नति की जांच होनी है़ इनकी प्रोन्नति पर पहले भी सवाल उठते रहे है़ शैक्षणिक, आयु सीमा जैसी अर्हताओं को नजरअंदाज कर अधिकारियों को प्रोन्नत किया गया़
राज्यपाल के आदेश के बाद बना था आयोग, 2012 से हो रही है जांच
विधानसभा में नियुक्तियों और प्रोन्नति के मामले की जांच वर्ष 2012 से ही हो रही है़ तत्कालीन राज्यपाल ने विधानसभा की नियुक्तियों-प्रोन्नति पर सवाल उठाते हुए विधानसभा को पत्र भेजा था़ राज्यपाल की ओर से नियुक्तियों के मामले में घोर अनियमितता बरते जाने का सवाल उठाया गया था़
इसके बाद सरकार ने वर्ष 2013 में नियुक्ति-प्रोन्नति की जांचके लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश लोकनाथ प्रसाद की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया़ आयोग को तीन महीने में ही रिपोर्ट देनी थी़ लोकनाथ प्रसाद ने बाद में आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया़ आयोग को पूर्व में भी विधानसभा की ओर से सहयोग नहीं मिला था़ इसके बाद पूर्व न्यायाधीश विक्रमादित्य प्रसाद को जांच का जिम्मा सौंपा गया़
तृतीय और चतुर्थ ग्रेड की पुस्तिका उपलब्ध करायी
विधानसभा की ओर से तृतीय और चतुर्थ ग्रेड के कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका जांच आयोग को उपलब्ध करा दी गयी है़ आयोग इसकी जांच कर रहा है़ पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी के कार्यकाल में इस ग्रेड पर 274 और पूर्व स्पीकर आलमगीर आलम के कार्यकाल में 324 नियुक्तियां हुई थी़ं विधानसभा में हुई इन नियुक्तियों पर सवाल उठे थे़ विधानसभा में कानून को ताक पर रख प्रोन्नति भी दी गयी़ सेवाकाल के एक वर्ष के अंदर ही कई लोगों को प्रोन्नत कर दिया गया़
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