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इलेक्ट्रॉनिक मेटेरियल को साक्ष्य के रूप में मान्यता
रांची : सूचना तकनीक आज के समय की जरूरत है. इस सूचना क्रांति का लोगों के जीवन पर सकारात्मक आैर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. इंटरनेट व कंप्यूटर के माध्यम से होनेवाले अपराधों की संख्या बढ़ रही है. आम लोगों के साथ-साथ सरकार के साथ भी अपराध किया जा रहा है. साइबर अपराधों को रोकने […]
रांची : सूचना तकनीक आज के समय की जरूरत है. इस सूचना क्रांति का लोगों के जीवन पर सकारात्मक आैर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. इंटरनेट व कंप्यूटर के माध्यम से होनेवाले अपराधों की संख्या बढ़ रही है. आम लोगों के साथ-साथ सरकार के साथ भी अपराध किया जा रहा है. साइबर अपराधों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एवीडेंस एक्ट में संशोधन भी किया है. इलेक्ट्रॉनिक्स मेटेरियल को एवीडेंस (साक्ष्य) के रूप में मान्यता दी गयी है.
इसे ध्यान में रखते हुए पुलिस को अनुसंधान कार्य करना चाहिए. अनुसंधान के दाैरान इलेक्ट्रॉनिक एवीडेंस एकत्रित करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए. उक्त बातें चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह ने कही. वे शनिवार को बताैर मुख्य अतिथि के रूप में धुर्वा स्थित झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी के सभागार में साइबर क्राइम विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.चीफ जस्टिस श्री सिंह ने कहा कि झारखंड का जामताड़ा जिला आज साइबर क्राइम के केंद्र के रूप में उभरा है.
देश के 22 राज्यों की पुलिस यहां आकर पूछताछ कर चुकी है. यहां कोई बड़ा तकनीकी संस्थान भी नहीं है आैर न ही कोई उच्च शिक्षा संस्थान ही संचालित है. यहां साइबर क्राइम की ट्रेनिंग दी जाती है. यह खतरनाक व गंभीर स्थिति है. मौके पर झारखंड हाइकोर्ट के न्यायाधीशगण, प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता व पुलिस अधिकारी आदि उपस्थित थे.
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