अब बड़े बांध (कमलदाह, नावाबांध, खैराही, मुनाही, गोबरदहा, मुरनिया डिपो, बाघ झोपड़ी, मधुचुआं, फूटहवा व बौलिया) में ही एक से पांच फीट तक पानी बचा है. हालांकि वन्य प्राणियों को पेयजल उपलब्ध कराने का काम टैंकर से हो रहा है. नेशनल पार्क की रोड संख्या एक, दो, तीन चार व पांच में कुल 25 सीमेंटेड वाटर हॉल हैं. इनमें टैंकर से हर रोज पानी डाला जा रहा है. सीसीएफ के अनुसार हिरण, हाथी व अन्य वन्य प्राणी इन्हीं वाटर हॉल से पानी पी रहे हैं. अभी स्थिति नियंत्रण में बतायी जा रही है.
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बेतला के जल स्रोत सूखे, टैंकर से हो रही जलापूर्ति
पेयजल संकट से इन दिनों आम आदमी के साथ-साथ जीव-जंतु भी परेशान हैं़ पानी की तलाश में जंगली जानवर भटक रहे हैं़ कई जानवर की मौत भी हो चुकी है़ कुछ िदनों पहले पानी की तलाश में भट रहे हाथी के एक बच्चे की मौत लू लगने से हो गयी थी.वहीं पानी की तलाश में […]
पेयजल संकट से इन दिनों आम आदमी के साथ-साथ जीव-जंतु भी परेशान हैं़ पानी की तलाश में जंगली जानवर भटक रहे हैं़ कई जानवर की मौत भी हो चुकी है़ कुछ िदनों पहले पानी की तलाश में भट रहे हाथी के एक बच्चे की मौत लू लगने से हो गयी थी.वहीं पानी की तलाश में गांव की ओर आये हिरण के दो बच्चे व लकड़बग्घे की भी मौत हो चुकी है.
रांची: राज्य का अकेला नेशनल पार्क बेतला भी जल संकट से जूझ रहा है. मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) सह क्षेत्र निदेशक, व्याघ्र परियोजना डालटनगंज ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) को इस संबंध में चिट्ठी लिखी है.गुरुवार को भेजी गयी इस चिट्ठी में सीसीएफ ने लिखा है कि बेतला के सभी जलस्रोत (जिनमें थोड़ा-थोड़ा पानी बहता था) सूख गये हैं.
उधर, एलिफैंट रिजर्व दलमा में स्थिति थोड़ी बेहतर है. वहां बड़े आकार के वाटर हॉल बने हैं. इनमें से कुछ 100×50 फीट तक के हैं. वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, दलमा के कुल 60 में से 58 वाटर हॉल में अभी पानी है. यहां टैंकर से जलापूर्ति संभव नहीं है. हाथियों के लिए बने बड़े आकार के वाटर हॉल में तालाब की तरह प्राकृतिक जल संग्रहित रहता है. दलमा के नूतनडीह परिसर के दो वाटर हॉल को छोड़ कर यहां के तीन, चाकुलिया के 29, दलमा के अाठ, मानगो के 12 तथा भादोडीह के छह वाटर हॉल में न्यूनतम चार इंच से लेकर अधिकतम 11 फीट तक पानी बचा है. वन विभाग के अनुसार, पानी की उपलब्धता से ही दलमा में हाथियों का मूवमेंट लगातार होता रहा है. अभी 16 अप्रैल को भी एक नर, छह मादा तथा तीन अवयस्क हाथियों का दल बोंटा होकर दलमा आया था. वन क्षेत्र पदाधिकारी, दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के अनुसार इन हाथियों को चिपिंगडारी में देखा गया.
तेंदुआ नहीं लकड़बग्घा मरा : गढ़वा नॉर्थ डिविजन के वन अधिकारियों ने मुख्यालय को सूचित किया है कि तीन-चार दिन पहले भवनाथपुर रेंज के टाली गांव के कुएं में तेंदुआ नहीं लकड़बग्घा गिरा था. वह पानी की खोज में निकला था़ घटना स्थल के निरीक्षण के बाद यह सूचना दी गयी है. इस घटना के संबंध में डीएफअो से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गयी है.
जंगल में जल समस्या तो है, पर अभी अलार्मिंग नहीं है. बेतला व दलमा के प्राकृतिक जल स्रोत सूख गये हैं. पर दलमा में कृत्रिम रूप से बनाये गये वाटर हॉल में अभी पानी मौजूद है. वहीं बेतला के वाटर हॉल में टैंकर से पानी की आपूर्ति हो रही है. अभी हमारे पास पानी की कमी से जानवरों के मरने की कोई सूचना नहीं है. दरअसल गत वित्तीय वर्ष में विभिन्न वन्य आश्रयणी में 365 चेक डैम तथा 20 छोटे तालाब बनाये गये थे. इनमें से ज्यादातर जंगलों के भीतर हैं. ये आज काम अा रहे हैं. हजारीबाग में हिरण कैसे बाहर अाये थे, इसका पता लगाया जा रहा है.
बीसी निगम, पीसीसीएफ, झारखंड
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