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तीन साल से लटका है धरोहरों का संरक्षण

रांची: पलामू किला सहित कुल 24 स्थलों-धरोहरों के संरक्षण की योजना बनी थी. इन्हीं का डीपीआर बनाना था. यह काम आज तक लटका है. विभाग भी इस मुद्दे पर सुस्त रहा. नतीजा यह हुआ है कि इनका संरक्षण नहीं हो पा रहा. राज्य की महत्वपूर्ण धरोहरों तथा पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण का कार्य गत तीन […]

रांची: पलामू किला सहित कुल 24 स्थलों-धरोहरों के संरक्षण की योजना बनी थी. इन्हीं का डीपीआर बनाना था. यह काम आज तक लटका है. विभाग भी इस मुद्दे पर सुस्त रहा. नतीजा यह हुआ है कि इनका संरक्षण नहीं हो पा रहा.

राज्य की महत्वपूर्ण धरोहरों तथा पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण का कार्य गत तीन वर्षों से लटका है. खेलकूद, कला संस्कृति व पुरातत्व विभाग के अनुसार निर्माण व संरक्षण (कंस्ट्रक्शन एंड कंजर्वेशन) के लिए बने डीपीआर में खामी के कारण इसका टेंडर नहीं निकाला जा सका है. विभाग के अनुसार, डीपीआर के लिए कंसलटेंसी का कार्य कर रही संस्था इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आटर्स एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटैक), रांची सर्किल का डीपीआर संतोषजनक नहीं है. ड्रॉइंग-डिजाइन सहित अन्य कमी के कारण इनका तकनीकी अनुमोदन भी नहीं हुआ है. वर्ष 2012 में विभाग ने इंटैक को कंसलटेंट नियुक्त किया था. पलामू किला सहित कुल 24 स्थलों-धरोहरों के संरक्षण की योजना बनी थी. इन्हीं का डीपीआर बनाना था. कंसलटेंसी ने 2013 से 2014 के बीच सभी डीपीआर तो दे दी, लेकिन इसके संरक्षण पार्ट में त्रुटि के कारण तकनीकी स्वीकृति तथा प्राक्कलन बनाने में परेशानी होती रही. यह काम आज तक लटका है. विभाग भी इस मुद्दे पर सुस्त रहा न तो डीपीआर दुरुस्त कराया अौर न ही कंसलटेंसी बहाल हुई. यह प्रोजेक्ट 100 करोड़ का है. यह रकम 13वें वित्तीय अायोग से मिली है. कंसलटेंसी को डीपीआर बनाने सहित अन्य तकनीकी कार्य के लिए कुल प्रोजेक्ट लागत की 10 फीसदी रकम (10 करोड़) बतौर फीस मिलनी है. इंटैक को करीब 80 लाख रुपये दिये जा चुके हैं.

संरक्षण नहीं निर्माण : इधर सरकार ने रांची आंड्रे हाउस का नव निर्माण करा दिया है. पुराने हाउस को गिरा कर इसकी जगह पहले के डिजाइन के अनुसार ही नया भवन बना दिया गया है. उधर बिरसा मुंडा जेल परिसर को तो पार्क में बदल दिया गया, पर जेल के संरक्षण का काम अभी होना है.

इन स्थलों-धरोहरों का होना है संरक्षण : महापाषाण (पत्थर) स्थल (रामगढ़), महादानी मंदिर बेड़ो (रांची), शहीद बुधु भगत का घर (लोहरदगा), टांगीनाथ मंदिर (गुमला), महापाषाण स्थल विष्णुगढ़ (हजारीबाग), पालकोट का खंडहर व अंजनधाम (गुमला), श्यामसुंदर मंदिर (चाकुलिया), वासुदेव राय मंदिर, कोरांबे (लोहरदगा), सकरी गली खंडहर व तेलियागढ़ी किला (साहेबगंज), पत्थरगामा का अवशेष ( गोड्डा), पंचित इमारत व पंडा समूह मंदिर निरसा (धनबाद), पिठोरिया मसजिद (रांची), दालबेरा मंदिर (सिल्ली), राजमहल के पुरातात्विक अवशेष, पलामू व शाहपुर किला, मंदारो पहाड़ी (साहेबगंज), बरहेट व भोगनाथ पुरातात्विक स्थल (संताल परगना), आड्रे हाउस (रांची), नवरतनगढ़ (गुमला), बिरसा मुंडा जेल (रांची), इटखोरी का पुरातात्विक स्थल (चतरा), कोलेश्वरी पहाड़ी, हंटरगंज (चतरा), विष्णुगढ़ व इचाक मंदिर (हजारीबाग), जगन्नाथपुर व अन्य विरासत स्थल (सरायकेला).

हमलोगों ने डीपीआर बना कर दे दी है. पुरातत्व में इसके तकनीकी अनुमोदन के लिए लोग नहीं है, इसलिए यह काम भवन निर्माण विभाग को दे दिया गया. वहां भी यह काम नहीं हुआ. अब यह काम टूरिज्म को दिया गया है.

दिव्य गुप्ता, इंटैक दिल्ली

डीपीआर में खामी है. इस वजह से लागत का आकलन तथा टेंडर निकालने में परेशानी हो रही है. कंसलटेंसी को डीपीआर दुरुस्त करने के लिए कहा गया है.

अमिताभ कुमार, उप निदेशक पुरातत्व

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