रांची: कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कहा कि झारखंड के लोग जैव विविधता, मनुष्य व प्रकृति के एक दूसरे के साथ रिश्ते को स्वाभाविक रूप से सीखते है़ं आदिवासी पूर्वजों ने कभी लालच नहीं किया़ प्रकृति से सिर्फ जरूरत के हिसाब से ही लिया़ उनकी अर्थव्यवस्था जरूरतों पर आधारित थी़ जीवन का दर्शन कभी प्रकृति […]
रांची: कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कहा कि झारखंड के लोग जैव विविधता, मनुष्य व प्रकृति के एक दूसरे के साथ रिश्ते को स्वाभाविक रूप से सीखते है़ं आदिवासी पूर्वजों ने कभी लालच नहीं किया़ प्रकृति से सिर्फ जरूरत के हिसाब से ही लिया़ उनकी अर्थव्यवस्था जरूरतों पर आधारित थी़ जीवन का दर्शन कभी प्रकृति का दोहन नहीं रहा़ पर आज हमारा प्रकृति के साथ वह संबंध कहां चला गया है?
हमारे हृदय की हिंसा ने जल, जमीन, हवा और जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है़ हमें धरती के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है़ वह चर्च की संस्था सोशल इनिशिएटिव्स फॉर ग्रोथ एंड नेटवर्किंग (साइन) द्वारा धरती की देखभाल विषय पर पोप का धर्मपत्र ‘लाउदातो सी’ पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे़ कार्यशाला का आयोजन एसडीसी में किया गया था़.
अब भी है समय, चीजों को बदल सकते हैं
कार्डिनल ने कहा कि अभी भी समय है और हम चीजों को बदल सकते है़ं शायद हमारे पास राजनीतिक ताकत नहीं, पर प्रकृति के दोहन, मानव के शोषण, लालच पर आधारित अर्थव्यवस्था के खिलाफ अपनी आवाज जरूर बुलंद करे़ं हमारे पास स्कूल, कॉलेज, पेरिश जैसे कई मंच हैं, जहां हम प्रकृति के प्रति प्रेम सिखा सकते है़ं उन्होंने कहा कि झारखंड के लिए ‘लाउदातो सी’ काफी प्रासंगिक है़ बिशप विनय कंडुलना ने कहा कि इसका कारण मनुष्यों में जागरूकता, प्रकृति के लिए चिंता व खुले हृदय की कमी है़.
खनन उतना ही अच्छा, जो लोगों का जीवनस्तर सुधारे
मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि खनन उतना ही हो, जो आसपास के लोगों का जीवन स्तर सुधारे़ लालच के कारण खनन होगा, तो विनाश अवश्यंभावी है़ झारखंड हर साल 15,000 करोड़ रुपये के खनिज का उत्पादन करता है, पर यहां के ही 36 फीसदी लोग गरीबी की सीमा रेखा से नीचे है़ं पांच वर्ष तक के 80 प्रतिशत आदिवासी बच्चे कुपोषित है़ं प्राकृतिक असंतुलन में खनन का बड़ा हाथ है़ मौके पर बिशप चार्ल्स सोरेंग, बिशप गैब्रिएल कुजूर, साइन के निदेशक व अन्य मौजूद थे़