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गोद लेने के लिए बच्चे से मिलना बंद

सरकार ने प्रक्रिया में बदलाव किया रांची : यदि अाप किसी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं, तो अब उससे जाकर मिल नहीं सकेंगे. सरकार ने गोद लेने की प्रक्रिया में बदलाव किया है. अब गोद लिये जा सकने वाले बच्चे तथा वैसे अभिभावक, जो किसी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं, दोनों का अॉनलाइन […]

सरकार ने प्रक्रिया में बदलाव किया
रांची : यदि अाप किसी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं, तो अब उससे जाकर मिल नहीं सकेंगे. सरकार ने गोद लेने की प्रक्रिया में बदलाव किया है. अब गोद लिये जा सकने वाले बच्चे तथा वैसे अभिभावक, जो किसी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं, दोनों का अॉनलाइन रजिस्ट्रेशन जरूरी है. बच्चे व उसके भावी अभिभावक की सीधी मुलाकात के बदले अब अॉनलाइन मैचिंग का प्रावधान किया गया है.
यानी गोद लेने के इच्छुक लोग बच्चे के बारे में सारी जानकारी अॉनलाइन ही ले सकते हैं. किस राज्य से कौन-सा बच्चा गोद लिया जा सकता है, यह निर्णय सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्सेस अॉथोरिटी (सीएआरए या सारा ) करती है. पहले यह काम राज्य स्तर पर होता था. गोद लिये जा सकने वाले बच्चे तथा गोद लेने के इच्छुक लोगों की तसवीरों सहित सभी जानकारी सारा की साइट cara.nic.in पर उपलब्ध है. बच्चे व अभिभावकों का निबंधन भी इसी साइट पर होता है.
झारखंड में मार्च 2016 तक कुल 105 बच्चों को गोद लिया गया है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में 137 तथा 2013-14 में 118 बच्चे गोद लिये गये थे. अभी राज्य में गोद लिये जा सकनेवाले 94 बच्चे हैं. समाज कल्याण विभाग से मिली सूचना के मुताबिक राज्य गठन के बाद से अब तक कुल 23 बच्चों को विदेशी (एनआरआइ) अभिभावक मिले हैं. हालांकि सरकार किसी बच्चे को देश में ही गोद लेने वाले अभिभावकों के पास भेजने को प्राथमिकता देती है तथा इसके लिए प्रेरित करती है. बच्चों को गोद लेने संबंधी प्रक्रिया तथा इसके लिए तय कानून की निगरानी के लिए ही राष्ट्रीय स्तर पर कारा तथा राज्य स्तर पर स्टेट एडॉप्शन रिसोर्सेस एजेंसी (एसएआरए या सारा) कार्यरत है.
झारखंड में सारा का कार्यालय एफएफपी बिल्डिंग स्थित सचिवलाय में है. शिवानी शर्मा सारा की कार्यक्रम अधिकारी (प्रोग्राम अॉफिसर) हैं. सारा की अोर से पांच बाल आश्रम या बाल/शिशु गृह को एजेंसी के तौर पर चिह्नित किया गया है, जहां के बच्चे गोद लिये जा सकते हैं. इनमें सहयोग विलेज खूंटी, आंचल शिशु आश्रम बड़ा तालाब रांची, करुणा (विकास भारती) बरियातू रांची, सर्वांगीण ग्रामीण विकास संस्था खूंटी (बिचना) तथा महिला जन स्वास्थ्य केंद्र बोकारो शामिल हैं.
क्या है गोद लेना : गोद लेना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें उन बच्चों को, जो अपने अभिभवाकों से किसी कारणवश (उनकी मृत्यु होने, बच्चे को छोड़ देने या समर्पण कर देने) स्थायी रूप से अलग हो गये हों, उन्हें न्याय संगत तरीके से नये अभिभावकों को सौंप दिया जाता है. ऐसे अभिभावक उस बच्चे के दत्तक माता-पिता कहलाते हैं. गोद लेने के साथ ही दत्तक अभिभावक को उस बच्चे से जुड़े सभी अधिकार, सुविधाएं व जिम्मेदारियां मिल जाती हैं.

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