रांची: झारखंड में आएएस अधिकारियों ने अपने वाहनों से लाल-पीली बत्ती उतार ली है लेकिन आइएफएस के अधिकारियों का अभी अपने वाहनों पर बत्ती लगाये हुए हैं. गौरतलब है कि 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से यह जानकारी मांगी है कि किन अधिकारियों को पीली या लाल बत्ती लगाने का अधिकार है और किसे नहीं. झारखंड में इस संदर्भ में कार्य किया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद झारखंड में भारतीय प्रशासनिक सेवा के कई अधिकारियों ने पीली बत्ती उतार दी. नैतिकता के आधार पर इसकी शुरुआत राज्य के मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने की. उनके बाद मुख्यालय के अधिसंख्य सचिवों ने अपने वाहनों से वीआइपी लाइट हटा दी. भारतीय वन सेवा या अन्य सेवा संवर्ग के भी कुछ अधिकारियों ने नैतिकता के आधार वीआइपी लाइट उतार दिया, जबकि अभी भी भारतीय वन सेवा के अधिसंख्य अधिकारियों के वाहन में वीआइपी लाइट लगी हुई है.
सचिव की गाड़ी बिना बत्ती के विशेष सचिव वीआइपी लाइट में
नेपाल हाउस, प्रोजेक्ट भवन या अन्य सचिवालय से जुड़े कार्यालयों में विशेष सचिव के पद पर पदस्थापित भारतीय वन सेवा के अधिकारी अभी भी वीआइपी लाइट लगाकर कार्यालय आ रहे हैं, जबकि उनके विभागीय प्रमुखों ने लाइट उतार दी है. कई विभागों में भारतीय वन सेवा के अधिकारी विशेष सचिव के पद पर पदस्थापित हैं. इसी तरह वन भवन में पदस्थापित भारतीय वन सेवा के ज्यादातर अधिकारी अभी भी पीली बत्ती लगाकर ही कार्यालय आ रहे हैं.
रिम्स-रिनपास के निदेशक की गाड़ी में भी पीली बत्ती
रिम्स और रिनपास के निदेशकों की गाड़ी में भी पीली बत्ती लगी हुई है. सरकार की ओर से इनको पीली बत्ती लगाने की अनुमति मिली है. इसके अतिरिक्त विभागीय प्रमुख होने के नाते उद्यान विभाग के निदेशक डॉ प्रभाकर सिंह की गाड़ी में भी पीली बत्ती लगी हुई है. भूमि संरक्षण विभाग के प्रभारी निदेशक राजीव कुमार और पशुपालन विभाग के निदेशक ने अपने वाहनों से पीली बत्ती उतार दी है. गव्य निदेशक की गाड़ी में पीली बत्ती लगी हुई है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंता प्रमुख ने भी पीली बत्ती उतार दी है.