रांची: अरे भई, अपने बापू को नहीं पहचानते! यह महात्मा गांधी की प्रतिमा है. वही महात्मा गांधी, जिन्होंने हमें आजादी की जिंदगी दी है, जो हमारे राष्ट्रपिता हैं. आधुनिकता की चादर ने हमारे जेहन को इतना कमजोर बना दिया है कि हम अपनी संस्कृति, राष्ट्रीय चेतना व गरिमा और महापुरुषों का सम्मान भूलते जा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं मोरहाबादी मैदान स्थित महात्मा गांधी पार्क की, जहां ये सब हो रहा है.
बदहाल स्थिति में पहुंच चुके इस पार्क में हमारे बापू महात्मा गांधी की विशाल प्रतिमा है. चारों ओर फूल-पौधे हैं, लेकिन उचित देखभाल नहीं होने से चारों ओर गंदगी पसर गयी है. लोग चप्पल-जूते पहन कर बेधड़क प्रतिमा के पास पहुंच जाते हैं. जहां जी चाहा, बैठ कर खाया-पीया और खाद्य पदार्थ, कागज, प्लास्टिक की बातलें छोड़ कर चल देते हैं. बशर्मी की हद यह है कि कुछ लोग नशा पान कर दारू की बोतलें भी प्रतिमा के आसपास फेंक देते हैं. पार्क में कई जगहों पर शराब की खाली बोतलें बिखरी हुई हैं. ज्ञात हो कि प्रतिमा का अनावरण दो अक्तूबर-2007 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने किया था.
शाम होते ही जुटने लगते हैं नशेड़ी
हैरानी की बात यह है कि महात्मा गांधी पार्क नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है. शाम होते ही शराबी, गंजेड़ी पहुंचने लगते हैं, जो बिना किसी डर के आराम से दारू पीते हैं और पार्क में ही बोतलें फेंक चले जाते हैं. इसका प्रमाण यह है कि पार्क में इधर-उधर शराब की कई बोतलें गिरी हुई हैं. इसके अलावा कोरेक्स की खाली बोतलें बिखरी हुई हैं. यहां बता दें कि कोरेक्स खांसी का सिरप है, जिसे नशा के रूप में भी सेवन किया जाता है.
शाम ढलते ही दारू, गांजा पीने के लिए पहुंच जाते हैं असामाजिक तत्व
लोग चप्पल-जूते पहन कर पहुंच जाते हैं प्रतिमा के पास खाकर-पीकर बिखेर दे रहे हैं गंदगी
पॉलिथीन और प्लास्टिक की बोतलें फैले हुए हैं
बापू के दोनों पांव में आ गयी है दरारें
प्रशासनिक लापरवाही
बापू की प्रतिमा पर धूल जम चुकी है.
प्रतिमा के दोनों पांवों में दरारें आ गयी हैं.
खास अवसरों में ही बापू की प्रतिमा व पार्क की साफ -सफाई होती है.
आम दिनों में निरीक्षण को कोई नहीं आता.
चप्पल-जूते पहन कर जाने पर कोई पाबंदी लगानेवाला नहीं.
मॉर्निग वॉकर नहीं देते ध्यान
दुखद बात यह है कि कई प्रबुद्ध लोग भी पार्क में मार्निग वॉक के लिए पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें भी राष्ट्रीय मर्यादा और नैतिक मूल्यों का ख्याल रहता. महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास चप्पल-जूते पहन कर ही चले जाते हैं और व्यायाम करते हैं.