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रघुवर सरकार ने झारखंड की नयी स्थानीय नीति को दी मंजूरी, जानिए क्या हैं प्रमुख प्रावधान

रांची : झारखंड की रघुवर दास सरकार ने आज एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए स्‍थानीय नीति को मंजूरी दे दी. राज्‍य में अब 1985 या उससे पहले से रहने वाले लोग स्‍थानीय माने जाएंगे और उन्‍हें राज्‍य सरकार के स्‍थानीयता से संबंधित सभी प्रावधानों का लाभ मिलेगा. रघुवर सरकार ने अपने बयान में कहा है […]

रांची : झारखंड की रघुवर दास सरकार ने आज एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए स्‍थानीय नीति को मंजूरी दे दी. राज्‍य में अब 1985 या उससे पहले से रहने वाले लोग स्‍थानीय माने जाएंगे और उन्‍हें राज्‍य सरकार के स्‍थानीयता से संबंधित सभी प्रावधानों का लाभ मिलेगा. रघुवर सरकार ने अपने बयान में कहा है कि उसने यह स्थानीय नीति अन्य राज्यों के अच्छे उदाहरणों, सभी राजनीतिक दलों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक संगठनों से परामर्श एवं झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायादेश को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है.

प्रोजेक्‍ट भवन में मुख्‍यमंत्री रघुवर दास की अध्‍यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया. सरकार के द्वारा एक अहम निर्णय लेते हुए जिलास्तरीय पदों को चिन्हित किया गया हैताकिवे पद जिला के लिए ही रह सकें एवं संबंधित जिले के निवासियों के ही उस पद पर नियुक्ति हो. सरकार ने कहा है कि इस अहम फैसले से स्‍थानीय निवासियों को जिला स्‍तर पर नौकरी में जगह पाने में सहुलियत होगी और सरकार को नियुक्तियां करने में भी दिक्‍कत नहीं होगी. शिक्षक, जनसेवक, पंचायत सचिव, सिपाही, चौकीदार, वनरक्षी, एएनएम आदि पदों पर जिला स्‍तर पर ही नियुक्ति होगी.

* जेपीएससी व जेएसएससीमें स्‍थानीय भाषाएं शामिल

राज्‍य सरकार ने झारखंड लोकसेवा आयोग (जेपीएससी) एवं झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं में शामिल किया गया है. इससे स्‍थानीय युवक-युवती सरकारी नौकरियों के लिए स्‍थानीय भाषा- संथाली, मुंडा, हो, खडिया, कुडुख(उरांव), कुरमाली, खोरठा, पंचपरगनिया और नागपुरी इत्‍यादी भाषाओं में परीक्षा लिखने की सुविधा होगी. झारखंड सरकार ने मंत्री सरयू राय की अध्‍यक्षता में एक समिति का गठन किया था और उस समिति की रिपोर्ट के आधार पर स्‍थानीय भाषाओं एवं झारखंड राज्‍य सामान्‍य ज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.


झारखंड की नयी स्थानीय नीति के प्रमुख प्रावधान

झारखंडकीभौगोलिक सीमा में निवास करने वाले वैसे सभी व्यक्ति, जिनका स्वयं अथवापूर्वज के नाम पर गत सर्वे खतियान में दर्ज होंएवं वैसे मूलनिवासियों, जो भूमिहीन हैं, उनके संबंध मे भी उनकी प्रचलित भाषा, संस्कृति एवं परंपरा के आधार पर ग्रामसभा द्वारा पहचान किए जाने पर स्थानीय की परिभाषा में उन्हें शामिल किया जा सकेगा.

वैसे झारखंड के निवासी, जो व्यापार, नियोजन एवं अन्य कारणों से झारखंड राज्य में विगत 30 वर्षों या उससे अधिक से निवास करते हों एवं अचल संपत्ति अर्जित किया हो या ऐसे व्यक्ति की पत्नी, पति, संतान हो.

झारखंड राज्य सरकार अथवा राज्य सरकार द्वारा संचालित या मान्यता प्राप्त संस्थानों, निगमों आदि में नियुक्त एवं कार्यरत पदाधिकारी, कर्मचारी या उनकी पत्नी, पति, संतान हों.

भारत सरकार के पदाधिकारियों, कर्मचारियों, जो झारखंड राज्य में कार्यरत हो या उनकी पत्नी, पति, संतान हों.

झारखंड राज्य में किसी संवैधानिक अथवा विधिक पदों पर नियुक्त व्यक्ति या उनकी पत्नी, पति, संतान हो.

ऐसे व्यक्ति, जिनका जन्म झारखंड राज्य में हुआ हो तथा जिन्होंने अपनी मैट्रिकुलेशन एवं समकक्ष स्तर की पूरी शिक्षा झारखंड राज्य में स्थित मान्यता प्राप्त संस्स्थानों से पूर्ण की हो.

अनुसूचित जनजाति बाहुल्य जिलों के लिए वर्ग तीन एवं वर्ग के पदों हेतु प्रावधान

भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची की धारा – 5 की उप धारा – 1 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए संविधान की अनुच्छेद 309 के अंतर्गत गठित अनुसूचित जनजाति बाहुल्य जिलों के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए वर्ग तीन एवं चार के शत-प्रतिशत पद अगले 10 सालों के लिए जिले के स्थानीय निवासियों से भरने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार ने टीएसपी के जिलों में वर्ग तीन एवं वर्ग चार के पदों का जिलों के लिए आरक्षण देने का निर्णय लिया गया.

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