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मेन रोड को खाली करायें : हाइकोर्ट

मेन राेड काे खाली करायें : हाइकाेर्टकिसी भी परिस्थिति में नहीं लगेगी फुटपाथ पर दुकानकोर्ट ने माैखिक रूप से कहा एसएसपी, ट्रैफिक एसपी व नगर निगम तीन हफ्ते में आदेश का पालन सुनिश्चित करेंफुटपाथ दुकानदारों को एक सप्ताह का नोटिस देंराेड खाली कैसे कराना है, यह प्रशासन जानेधरना-प्रदर्शन से कोई मतलब नहीं है. वह हमारे […]

मेन राेड काे खाली करायें : हाइकाेर्टकिसी भी परिस्थिति में नहीं लगेगी फुटपाथ पर दुकानकोर्ट ने माैखिक रूप से कहा एसएसपी, ट्रैफिक एसपी व नगर निगम तीन हफ्ते में आदेश का पालन सुनिश्चित करेंफुटपाथ दुकानदारों को एक सप्ताह का नोटिस देंराेड खाली कैसे कराना है, यह प्रशासन जानेधरना-प्रदर्शन से कोई मतलब नहीं है. वह हमारे वोटर नहीं?नगर आयुक्त फेलियर हैं, उनसे कोई उम्मीद नहीं हैकानून से आगे नहीं है कोई वीआइपीजब फ्लाई अोवर नहीं बनाना था, तो डीपीआर पर करोड़ों खर्च क्यों?राज्य सरकार ने बतायासुजाता चाैक, अलबर्ट एक्का चाैक व लालपुर चाैक में फ्लाईअोवर उपयोगी नहीं है. घनी आबादी है आैर यह क्षेत्र पूरी तरह से कॉमर्शियल भी है. यहां फ्लाई अोवर बनना संभव नहीं है. रातू रोड व कांटा टोली चाैक में प्लाई अोवर प्रस्तावित है. इस दिशा में सरकार काम कर रही है. राज्य सरकार की अोर से 29 मार्च को हाइकाेर्ट में हलफनामा दायर किया गया था. वरीय संवाददाता, रांची झारखंड हाइकोर्ट ने महात्मा गांधी मार्ग (मेन राेड) से फुटपाथ दुकानदारों व मोबाइल हॉकरों को हटाने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने बुधवार काे ट्रैफिक सुधार काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा : किसी भी परिस्थिति में फुटपाथ पर दुकानें नहीं लगेगी. दुकानदाराें काे एक सप्ताह का नोटिस दें. तीन सप्ताह में सड़क साफ दिखनी चाहिए. राज्य सरकार इसे सुनिश्चित करे. एसएसपी, एसपी ट्रैफिक व नगर निगम आदेश का अनुपालन करायें. खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए माैखिक रूप से कहा : कैसे खाली कराना है, प्यार से या सख्ती से? यह प्रशासन जाने. कोर्ट जमीनी स्तर पर अनुपालन चाहता है. इसमें कोई छूट नहीं मिलेगी आैर समय भी नहीं मिलेगा. परेशानी आयेगी. धरना-प्रदर्शन भी होगा. पर उससे कोर्ट का कोई संबंध नहीं है. वे हमारे वोटर नहीं है. उन्हें जहां ले जाना है, ले जायें, पर रोड खाली करायें. पुलिस प्रशासन को जो भी कदम उठाना है, उठाये. सीइआे से उम्मीद करना बेकारखंडपीठ ने कहा कि नगर आयुक्त प्रशांत कुमार फेलियर हैं. उनसे उम्मीद करना बेकार है. पुलिस, नगर निगम के साथ मिल कर दुकानदारों को हटाने का अभियान शुरू करे. यह तो एक रोड का मामला है. इसके बाद दूसरी सड़क खाली करायी जायेगी. सुनवाई के दाैरान माैजूद नगर आयुक्त से खंडपीठ ने पूछा… फेरीवालों को दुकान लगाने की आपने कोई विशेष अनुमति दी है? नगर आयुक्त ने इससे इनकार किया. खंडपीठ ने पूछा…. काैन सा ऐसा वीआइपी है, जिनकी गाड़ी एमजीएम पर खड़ी रहती है आैर पुलिस उसकी सुरक्षा करती है, आप नाम तो बतायें? कानून के आगे कोई वीआइपी नहीं? इस मार्ग पर कार को क्यों चलने देते हैं. लोग पैदल चलें, बाजार करें. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी. काैन थानेदार पैसा लेकर लगवाता है दुकानप्रथम सत्र में सुनवाई के दाैरान प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने खंडपीठ को बताया कि थानेदार पैसे लेकर मेन रोड में दुकान लगवाते हैं? इससे अतिक्रमण होता है. जाम की समस्या होती है. पुलिस की विशेष शाखा की रिपोर्ट में भी इसका जिक्र है. इतना सुनने के बाद खंडपीठ ने एसएसपी व एसपी ट्रैफिक को सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया. दूसरे सत्र में खंडपीठ ने एसएसपी कुलदीप द्विवेदी व एसपी ट्रैफिक मनोज रतन चोथे से पूछा… काैन थानेदार राशि लेकर महात्मा गांधी मार्ग पर दुकान लगवाता है? पांच थाने का नाम प्रार्थी ने लिया है. आरोप सही है या गलत, उससे कोई मतलब नहीं? कोर्ट का आदेश आपके हाथ में है, उसका अनुपालन सुनिश्चित करायें. डीपीआर पर इतना खर्च क्याें?प्रथम सत्र में राज्य सरकार के जवाब पर खंडपीठ ने कहा… कॉमर्शियल क्षेत्र में जब फ्लाई अोवर उपयोगी नहीं था, तो आपने करोड़ों रुपये डीपीआर बनाने पर क्यों खर्च कर दिया? यह डीपीआर बनाने के पहले देखना चाहिए था?

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