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कुश्ती क्या होती है जानती तक नहीं थी, आज गले में है मेडल

कुश्ती क्या होती है जानती तक नहीं थी, आज गले में है मेडल ……………… फोटो : आधी आबादी में यह कहानी है पाकुड़ की तीन ड्रॉप आउट बच्चियां वामनी टुडू , शांत मुनी मरांडी और बरकी वास्वी की. पुरुषों का खेल समझे जानेवाले कुश्ती में स्टेट लेवल पर सिल्वर और ब्रांज मेडल जीत चुकी हैं. […]

कुश्ती क्या होती है जानती तक नहीं थी, आज गले में है मेडल ……………… फोटो : आधी आबादी में यह कहानी है पाकुड़ की तीन ड्रॉप आउट बच्चियां वामनी टुडू , शांत मुनी मरांडी और बरकी वास्वी की. पुरुषों का खेल समझे जानेवाले कुश्ती में स्टेट लेवल पर सिल्वर और ब्रांज मेडल जीत चुकी हैं. खास बात यह है कि शुरुआत में ये बच्चियां जानती तक नहीं थी कि कुश्ती क्या होती है? गरीबी और विपरीत परिस्थितियों के कारण पहले इन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी़ इसी दौरान महिला समाख्या ने तीनों को महिला शिक्षण केंद्र पाकुड़ में हॉस्टल में रखा. यहां शिक्षा दी गयी. फिर अपनी प्रतिभा को दिखाने का मंच मिला़ अब ये बच्चियां अधूरी पढ़ाई पूरी कर रही है़ं पढ़ाई के साथ-साथ खेल में बेहतर कर रही है़ं साथ ही कई तरह की विधाओं से जुड़ रही है़ं ………………………सिर्फ 15 -20 दिन किया अभ्यास तीनों बच्चियों ने मात्र 15 से 20 दिनों के प्रैक्टिस में ही यह उपलब्धि हासिल की है़ इनके पास खेल के लिए न तो कॉस्टूयम थे और न ही जूते़ बातों-बातों में तीनों को स्टेट लेवल कुश्ती प्रतियोगिता के बारे में पता चला़ पाकुड़ जिले के कुश्ती संघ के सचिव ने इनकी तैयारी करायी. …………………………..सिमडेगा में हुई थी प्रतियोगिता 28 से 30 मार्च को झारखंड सरकार ने सिमडेगा में स्टेट लेवल शहीद तेलंगाना खड़िया कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित की थी. इसमें 21 जिले के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. वामनी टुडू , शांत मुनी मरांडी और बरकी वास्वी ने रांची को हराया़ पहले चरण में सिल्वर और फाइनल प्रतियोगिता में ब्रांज हासिल की़ शांतिमन ने 48 किलोग्राम वर्ग की प्रतियोगिता में जीत हासिल की. ………………………चुनौती है इन बच्चियों को मुख्यधारा से जोड़ना महिला शिक्षण केंद्र पाकुड़ की डिस्ट्रिक प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर रीना शाह बताती हैं कि इन बच्चियों ने पहले कभी कुश्ती के बारे में सुना तक नहीं था़ जब इन्हें अवसर मिला, तो झारखंड का नाम रोशन कर दिखाया है़ इन बच्चियों को आगे बढ़ाना है़ …………………………………घरवालों का मिल रहा प्रोत्साहन मैं अभी पांचवीं कक्षा में पढ़ रही हू़ं पिता पश्चिम बंगाल में काम करते हैं. घर में पांच सदस्य है़ं पहले कुश्ती के बारे में नहीं जानती थी़ गरीब परिवार के कारण कभी खेलने का मौका नहीं मिला़ मेडल मिलने के बाद परिवार वाले खेलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. वामनी………..अब आगे भी खेलूंगी मैं अभी मैट्रिक तैयारी कर रही हू़ं गरीबी के कारण पढ़ाई बीच में छूट गयी थी़ अभी एमएसके के सहयोग से फिर से पढ़ पा रही हू़ं मेडल जीतने के बाद काफी खुशी हुई. पिताजी खेती करते है़ं उन्हें भी मेरी जीत से बहुत खुशी हुई है. अब मैं आगे पढूंगी और खेलूंगी़ शांति मुनी मरांडी ………………….पहली बार खेली और जीती अब मैं पांचवीं की छात्रा हू़ कुश्ती में काफी आनंद आता है. पहली बार खेली और जीत भी मिल गयी. मेरी जीत पर परिवार और गांववाले काफी खुशी हैं. अब मैं खेल में अपनी पहचान बनाऊंगी़ पढ़-लिख कर आगे बढूंगी़ बरकी वास्वी

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