रांची: किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न की खरीद हो रही है, लेकिन इस योजना से किसानों को कितना लाभ हुआ, इसकी कोई पुख्ता रिपोर्ट नहीं है. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं हो पा रही है. गौरतलब है कि झारखंड में वर्ष 2011 से धान की खरीद शुरू हुई. खरीफ-2011 का 20 करोड़ रु मूल्य का 10,410 टन चावल अभी तक सरकार को नहीं मिला है. एफसीआइ के पास चावल की कीमत के रूप में 14.17 करोड़ रु भी फंसे हैं. एफसीआइ के अनुसार इससे संबंधित धान खरीद के पूरे कागजात विभिन्न लैंप्स-पैक्स ने उपलब्ध नहीं कराया है.
खरीफ-2012 का करीब 1.36 लाख टन चावल व 22.38 करोड़ रु फंसे हुए हैं. अब सरकार करीब 319 करोड़ की लागत से खरीफ-2013 के धान खरीद की तैयारी कर रही है. इसके लिए 318.96 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड रखा गया है. धान खरीद के लिए सरकार कर्ज लेकर भी जिलों को धन उपलब्ध कराती है.
खरीफ-11 की गड़बड़ी
राज्य के कई राइस मिल मालिकों तथा जिला सहकारिता व आपूर्ति अफसरों ने मिलकर सरकार के लगभग 20 करोड़ रु (10410 टन चावल की कीमत) डूबा दिये. इस संदर्भ में हजारीबाग के लकी राइस मिल पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. चतरा के जिला सहकारिता पदाधिकारी रविशंकर पांडेय व जिला आपूर्ति पदाधिकारी मयूख भी इस मामले में दोषी पाये गये हैं. राष्ट्रपति शासन के दौरान पलामू (हुसैनाबाद) की मां जानकी राइस मिल (बकाया 3.5 करोड़) तथा देवघर के यशोदा राइस मिल (68 लाख) व श्री यशोदा राइस मिल (बकाया 14 लाख) पर पहले से प्राथमिकी दर्ज है. शेष मिलों से रिकवरी की कोशिश जारी है. पलामू में हुए चावल घोटाला मामले में जिला सहकारिता पदाधिकारी शिवनारायण राम, जिला आपूर्ति पदाधिकारी विपिन लकड़ा व जिला कृषि पदाधिकारी नरेश चौधरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. उधर पाकुड़ जिले में धान-चावल खरीद में डेढ़ करोड़ से अधिक की गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. इस मामले में तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी चंदेश्वर कापर को निलंबित कर दिया गया है. जांच निगरानी को दे दी गयी है.
खरीफ-12 की गड़बड़ी
इस मौसम में हुई धान खरीद के बदले 1.36 लाख टन चावल बकाया है. अभी तक 470 करोड़ रु के विरुद्ध सिर्फ 26.6 करोड़ रु का बिल एफसीआइ को दिया गया है. इसके बदले सिर्फ 4.22 करोड़ का भुगतान हुआ है. एफसीआइ के पास राज्य सरकार के 22.38 करोड़ रु फंसे हैं. धनबाद में नया खुलासा हुआ है. बैठक में डीसी के समक्ष लटानी, खेसरा व पंडुवा लैंप्स प्रभारियों ने स्वीकारा है कि उन्होंने 2.06 करोड़ का धान खरीदा ही नहीं था. इसके बाद इन पर प्राथमिकी दर्ज करने की बात चली. इसके बाद प्रभारियों ने 50 फीसदी रकम वापस कर दी है. उधर डीसी ने गोविंदपुर के प्रिया व शिव शंभु राइस मिल तथा कतरास के जय हनुमान राइस मिल का निरीक्षण किया, तो वहां न तो धान मिला और न ही चावल.