18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सुनवाई: ओड़िशा की 102 खदानों के मामले में अाया फैसला, लौह अयस्क खदानों के लीज नवीकरण का आदेश

रांची: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर व सी नगप्पण की पीठ ने ओड़िशा के 102 लीज धारकों की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है. मई 2014 में ओड़िशा सरकार ने 102 खदानों को खनन कार्य रोकने का आदेश दिया था. इसके लिए यह तर्क पेश किया गया था कि संबंधित […]

रांची: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर व सी नगप्पण की पीठ ने ओड़िशा के 102 लीज धारकों की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है.
मई 2014 में ओड़िशा सरकार ने 102 खदानों को खनन कार्य रोकने का आदेश दिया था. इसके लिए यह तर्क पेश किया गया था कि संबंधित खदानों के पास फॉरेस्ट क्लियरेंस सहित खनन के लिए अन्य आवश्यक कानूनी कागजात उपलब्ध नहीं हैं. सरकार के इस आदेश के खिलाफ लीजधारकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका(डब्ल्यूपी, सिविल 1094/2014) दायर की थी.

इसमें एमएमडीआर एक्ट में निहित प्रावधानों के तहत खनन कार्य पर लगायी गयी पाबंदी को हटाने की मांगी की गयी. इस याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह कहा है कि एमएमडीआर एक्ट में संशोधन 12 जनवरी 2015 को किया गया था. संशोधन से पहले अगर किसी लीज धारक ने लीज अवधि समाप्त होने से 12 माह पहले लीज नवीकरण के लिए आवेदन दिया हो और सरकार ने उसके आवेदन पर कोई फैसला नहीं किया हो, तो उसका लीज वैध माना जायेगा और उसका लीज नवीकृत किया जायेगा. कैप्टिव माइंस के मामले में सिलसिले में लीज नवीकरण की अवधि 31 मार्च 2030 मानी जायेगी. नन कैप्टिव के मामले में लीज नवीकरण की अवधि 31 मार्च 2020 तक मानी जायेगी. अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि अगर सरकार ने लीज नवीकरण के आवेदन को रद्द कर दिया हो, तो उन्हें एमएमडीआर एक्ट में किये गये संशोधन के प्रावधानों का लाभ नहीं मिलेगा.

विकास आयुक्त की अध्यक्षता में बनी थी कमेटी
झारखंड में राज्य सरकार ने मई 2014 के बाद लीज नवीकरण के लिए लंबित सभी लौह अयस्क खदानों के अॉपरेशन पर रोक लगा दी थी. इसके बाद 21 लौह अयस्क खदानों के मामले में सरकार ने विकास आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की. सभी लीज धारकों को सरकार ने नोटिस जारी कर उनका पक्ष जाना. कई मामलों में लीज धारकों द्वारा लीज की शर्तों का उल्लंघन पाया गया. इसके बाद विकास आयुक्त की कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने 22 जनवरी 2016 को 18 लौह अयस्क खदानों का लीज रद्द कर दिया. सरकार ने दो फरवरी 2016 को इन खदानों पर पोजेशन लेने से संबंधित आदेश भी जारी कर दिया. तीन अन्य खदानों का लीज रद्द करने का आदेश मुख्यमंत्री की सहमति के बाद चार अप्रैल 2016 को जारी किया गया है.
मामले में हाइकोर्ट में भी दी गयी थी चुनौती : राज्य सरकार ने जिन 18 लौह अयस्क खदानों का लीज रद्द किया है. उन लीज के लीजधारकों ने माइनिंग ट्रिब्यूनल दिल्ली में याचिका दायर कर सरकार के आदेश को चुनौती दी है. वहां मामले की सुनवाई चल रही है. कुछ लीज धारकों ने सरकार के आदेश को झारखंड हाइकोर्ट में चुनौती दी थी. हाइकोर्ट ने इन मामलों में यथास्थिति बहाल करने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर सरकार से मिलेंगे लीज धारक
ओड़िशा के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश को लेकर झारखंड के लीजधारक सरकार से मिलेंगे और लीज नवीकरण रद्द करने के आदेश पर पुनर्विचार का फैसला करेंगे. हालांकि खान विभाग के सूत्रों ने बताया कि झारखंड में सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश प्रभावी नहीं होगा. झारखंड में कई अन्य मामलों को आधार बनाते हुए लीज रद्द किया गया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें