रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार की अोर से निर्धारित समय सीमा के अंदर जवाब दाखिल नहीं करने पर एक बार फिर कड़ी नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने अस्पतालों से निकलनेवाले मेडिकल कचरे के उचित निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार की अोर से निर्धारित समय सीमा के अंदर जवाब दाखिल नहीं करने पर एक बार फिर कड़ी नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने अस्पतालों से निकलनेवाले मेडिकल कचरे के उचित निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा कि 48 घंटे के पहले जवाब दाखिल करने का समय निर्धारित है.
समय पर जवाब दाखिल हो, ताकि कोर्ट उसे देख सके, लेकिन बार-बार समय का अनुपालन नहीं किया जा रहा है. यह गंभीर मामला है. वैसी परिस्थिति में कोर्ट कैसे मामले की सुनवाई करेगा? इससे कोर्ट का समय बरबाद होता है. खंडपीठ ने महाधिवक्ता (एजी) से पूछा, क्यों नहीं समय पर जवाब दाखिल हुआ. इस पर एजी विनोद पोद्दार ने कहा कि समय पर जवाब दाखिल हो, इसके लिए उन्होंने दो-दो बार पत्र लिखा है, लेकिन सरकार के अधिकारी उनकी बात सुनते ही नहीं है.
10 बजे नाम बतायें, अफसर 2.30 बजे कोर्ट में होंगे हाजिर
एजी के जवाब पर कोर्ट ने नाराजगी भरे शब्दों में कहा कि काैन अधिकारी नहीं सुन रहा है. आप उसका नाम बतायें. एजी ने कहा कि वे नाम बतायेंगे, लेकिन उन्होंने किसी अधिकारी का नाम नहीं लिया. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आप नाम क्यों बताना नहीं चाह रहे है. चेंबर में नहीं सुनूंगा. 10 बजे आप नाम बताये, अधिकारी दिन के 2.30 बजे कोर्ट में हाजिर रहेंगे. चाहे आइएएस हों या आइपीएस हो, नाैकरी तो उन्हें करनी है. अधिकारी कोर्ट आना चाहते है या कही आैर जाना पसंद करेंगे. खंडपीठ ने महाधिवक्ता को कहा कि आप इस मामले को गंभीरता से लें, कोर्ट इस मुद्दे पर काफी गंभीर है.
सरकार की अोर से जवाब दाखिल नहीं किया जा सका. इस पर भी नाराजगी जतायी. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अोर से जवाब दाखिल किया गया. मालूम हो कि झारखंड ह्यूमन राइट्स कांफ्रेंस की अोर से जनहित याचिका दायर कर रांची, जमशेदपुर, धनबाद व बोकारो के अस्पतालों से निकलनेवाले मेडिकल कचरे के उचित निष्पादन की मांग की गयी है.