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आज विश्व किडनी दिवस: सरकारी अस्पतालों में नहीं हैं किडनी विशेषज्ञ
रांची: राज्य के सरकारी अस्पतालों में नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी रोग विशेषज्ञ) नहीं है़ं, इसलिए किडनी रोग से संबंधित गंभीर बीमारी का परामर्श सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल पाता है़. राज्य के किडनी रोग से ग्रसित गंभीर मरीजों को निजी अस्पतालों के भरोसे रहना पड़ता है, जहां उन्हें इलाज के लिए मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है़ […]
रांची: राज्य के सरकारी अस्पतालों में नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी रोग विशेषज्ञ) नहीं है़ं, इसलिए किडनी रोग से संबंधित गंभीर बीमारी का परामर्श सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल पाता है़.
राज्य के किडनी रोग से ग्रसित गंभीर मरीजों को निजी अस्पतालों के भरोसे रहना पड़ता है, जहां उन्हें इलाज के लिए मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है़ गंभीर मरीजों को इलाज व प्रत्यारोपण के लिए महानगर भी जाना पड़ता है़ किडनी प्रत्यारोपण के लिए मरीजों को आठ से 10 लाख रुपये तक खर्च करना पड़ता है़ वहीं पीजीआइ चंडीगढ़ व एम्स जैसे सरकारी अस्पताल में प्रत्यारोपण का खर्च मात्र तीन से साढ़े तीन लाख रुपये ही है़ अगर राज्य के सरकारी अस्पतालों में प्रत्यारोपण की सुविधा मिल जाये, तो गरीब मरीजों काे लाभ मिलेगा़.
रिम्स में भी अब तक नहीं है नेफ्रोलॉजी विभाग
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में सुपरस्पेशियलिटी विंग तो खोला गया है़, लेकिन नेफ्रोलॉजी विभाग नहीं. रिम्स में किडनी से संबंधित बीमारी के मरीजों का इलाज मेडिसिन, सर्जरी व यूरोलॉजी में किया जाता है़ चिकित्सकों के परामर्श पर रिम्स में डायलिसिस किया जाता है़ हालांकि रिम्स प्रबंधन ने नेफ्रोलॉजी विभाग खोलने के लिए स्वास्थ्य विभाग को प्रस्ताव भेजा है़.
एंटीबायोटिक व दर्द की दवा से किडनी को खतरा
किडनी की बीमारी डायबिटीज व हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों ज्यादा होने की संभावना रहती है, लेकिन ज्यादा एंटीबॉयोटिक व दर्द की दवा का उपयोग करने से भी किडनी की बीमारी का खतरा रहता है़ किडनी की बीमारी से पीड़ित गंभीर मरीजों को कई बार किडनी प्रत्यारोपण की नौबत आ जाती है़
किडनी बीमारी के लक्षण
सूजन आना
पेशाब कम या ज्यादा होना
पेशाब में खून आना
पेशाब रुक-रुक कर आना
अचानक रक्त चाप बढ़ जाना
भूख-प्यास न लगना
सांस फूलना
बेहोशी आना
बार-बार उलटी होना
आंख की रोशनी कम होना
हर 10 व्यक्ति में एक किडनी से पीड़ित
डॉ अशोक वैद्य
रांची. किडनी से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है़ इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ किडनी डिजीज व इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी ने किडनी दिवस मनाने का निर्णय लिया है. इसका उद्देश्य लोगों को किडनी रोगों के प्रति जागरूक करना है़ विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया की 10 फीसदी आबादी किडनी की गंभीर बीमारी से प्रभावित होती है़ अमेरिका में हर साल लगभग एक लाख लोगों को डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है़ भारत में हर 10 व्यक्ति में एक किडनी की बीमारी से पीड़ित है़ दुर्भाग्य से आधे से अधिक मरीजों को अपनी बीमारी के बारे में जब तक पता चलता है, जब किडनी 60 फीसदी से अधिक खराब हो चुकी होती है़
(लेखक किडनी रोग विशेषज्ञ हैं)
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